अस्पताल में फैकल्टी की कमी के आधार पर NOC रोकी नहीं जा सकती: हाईकोर्ट ने AIIMS रायबरेली को प्रोफेसर को अनुमति देने का निर्देश दिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) रायबरेली द्वारा एक एसोसिएट प्रोफेसर को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) न देने के निर्णय को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन ने आदेश दिया कि डॉ. पारुल सिन्हा को तत्काल NOC प्रदान किया जाए ताकि वे डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RMLIMS), लखनऊ में साक्षात्कार में सम्मिलित हो सकें।

पृष्ठभूमि

डॉ. पारुल सिन्हा, AIIMS रायबरेली में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने RMLIMS में इसी पद के लिए विज्ञापन संख्या DrRMLIMS/ER/Rect-F(R)/2025/288 दिनांक 21.02.2025 के अंतर्गत आवेदन किया था। साक्षात्कार की तिथि 8 जून 2025 निर्धारित थी और विज्ञापन के अनुसार, वर्तमान नियोक्ता से NOC प्रस्तुत करना अनिवार्य था।

डॉ. सिन्हा ने 25.03.2025 को NOC के लिए आवेदन किया था, जिसे AIIMS रायबरेली ने 13.05.2025 को “सार्वजनिक हित” का हवाला देते हुए अस्वीकृत कर दिया।

पक्षकारों की दलीलें

याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुत वकील ने तर्क दिया कि NOC न देने का निर्णय मनमाना और अस्पष्ट है तथा उसमें कोई ठोस कारण नहीं दर्शाया गया है।

वहीं AIIMS की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री एस.बी. पांडेय ने तर्क दिया कि भारत सरकार द्वारा 24.11.2022 को जारी कार्यालय ज्ञापन (Office Memorandum) के अनुसार, यदि सार्वजनिक हित में हो तो ऐसे आवेदन रोके जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान में फैकल्टी की भारी कमी को देखते हुए NOC को रोका गया।

न्यायालय का विश्लेषण

न्यायालय ने संबंधित कार्यालय ज्ञापन की समीक्षा करते हुए कहा:

“कार्यालय ज्ञापन दिनांक 24.11.2022 के अनुसार, कर्मचारियों के बाह्य नियुक्तियों हेतु प्रेषित आवेदन आमतौर पर स्वीकृत किए जाने चाहिए, केवल विशेष परिस्थिति में ही सार्वजनिक हित का हवाला देकर उन्हें रोका जा सकता है।”

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न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि:

“संस्थान में फैकल्टी की कमी के लिए याचिकाकर्ता को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता, और इस आधार पर उसे अन्य संस्थान में आवेदन करने से वंचित नहीं किया जा सकता।”

न्यायालय ने यह भी कहा कि:

“यदि AIIMS ने समय से फैकल्टी की नियुक्ति नहीं की है, तो उसका खामियाजा याचिकाकर्ता पर नहीं डाला जा सकता।”

निर्णय

न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुए AIIMS रायबरेली द्वारा 13.05.2025 को जारी अस्वीकृति पत्र को रद्द कर दिया। न्यायालय ने निर्देश दिया:

“प्राधिकृत अधिकारी याचिकाकर्ता को तत्काल NOC जारी करें और हर हाल में 8 जून 2025 से पहले प्रदान करें।”

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न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल उक्त स्थायी पद के लिए लागू होगा, जिसके लिए याचिकाकर्ता ने आवेदन किया है।

आदेश खुले न्यायालय में सुनाया गया और निर्देश दिया गया कि इसकी प्रमाणित प्रति की प्रतीक्षा किए बिना इसका पालन किया जाए। साथ ही, प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता श्री वरुण पांडेय को आदेश की जानकारी तत्काल संबंधित अधिकारियों को देने का निर्देश दिया गया।


मामला: डॉ. पारुल सिन्हा बनाम AIIMS रायबरेली एवं अन्य
मामला संख्या: रिट – ए नं. 6237 / 2025

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