UAPA मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी

सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के पीछे की साजिश में कथित संलिप्तता को लेकर आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज मामले में पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई बुधवार को 31 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले को स्थगित कर दिया क्योंकि पीठ केवल दोपहर के भोजन तक उपलब्ध थी।

पीठ ने कहा, “सूची 31 जनवरी को। बोर्ड उच्च स्तर पर है।”

Video thumbnail

खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने कहा कि वह बहस करने के लिए तैयार हैं लेकिन दुर्भाग्य से यह पीठ दोपहर के भोजन के बाद उठ रही है।

इस मामले को यूएपीए के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध किया गया था।

READ ALSO  वैधानिक प्रावधान के बिना लाइसेंसधारी की मृत्यु पर मोटर ड्राइविंग स्कूल का लाइसेंस स्वतः रद्द नहीं हो सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने 9 अगस्त को खालिद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

खालिद की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के 18 अक्टूबर, 2022 के आदेश को चुनौती देती है, जिसने मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी।

हाईकोर्ट ने खालिद की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह अन्य सह-अभियुक्तों के साथ लगातार संपर्क में था और उसके खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही थे।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि आरोपियों की हरकतें प्रथम दृष्टया गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत “आतंकवादी कृत्य” के रूप में योग्य हैं।

खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के “मास्टरमाइंड” होने के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए।

READ ALSO  आपराधिक न्यायशास्त्र का मजाक- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एफआईआर के 17 साल बाद धारा 160 CrPC नोटिस जारी करने पर पुलिस को फटकार लगाई

Also Read

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी।

READ ALSO  जिला मजिस्ट्रेट यूपी पंचायत राज जांच नियमों का पालन किए बिना केवल जांच अधिकारी के मौके पर निरीक्षण के आधार पर प्रधान को हटाने का आदेश नहीं दे सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट

सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए खालिद ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि हिंसा में उसकी न तो कोई आपराधिक भूमिका थी और न ही मामले में किसी अन्य आरोपी के साथ कोई “षड्यंत्रकारी संबंध” था।

दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उनके द्वारा दिया गया भाषण “बहुत गणनात्मक” था और उन्होंने बाबरी मस्जिद, तीन तलाक, कश्मीर, मुसलमानों के कथित दमन और सीएए और एनआरसी जैसे विवादास्पद मुद्दों को उठाया था।

Related Articles

Latest Articles