उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कॉर्बेट पार्क निदेशक से नए जिप्सी ऑपरेटरों को बाहर रखने पर स्पष्टीकरण मांगा

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक से यह स्पष्ट करने को कहा है कि हाल ही में पंजीकृत स्थानीय वाहन मालिकों को सफारी सेवाएं देने वाले अधिकृत जिप्सी ऑपरेटरों की सूची से क्यों बाहर रखा गया है।

चक्षु कार्गेटी, सवित्री अग्रवाल और अन्य की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने निदेशक को 10 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में नए वाहन संचालकों के पंजीकरण के लिए तय की गई मानक प्रक्रिया और मानदंडों का पूरा विवरण होना चाहिए।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट: बीएनएसएस लागू होने के बाद दायर ईडी शिकायत पर पीएमएलए आरोपी को संज्ञान से पहले सुनवाई का अधिकार

याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट को बताया कि वैध परमिट होने के बावजूद कई नए वाहन संचालकों को पार्क प्रशासन द्वारा जारी सूची में शामिल नहीं किया गया है। उनका कहना है कि मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार सभी नए और पुराने परमिट धारकों, जो आवश्यक शर्तों को पूरा करते हैं, को कॉर्बेट पार्क में जिप्सी ऑपरेटरों के लिए संचालित लॉटरी प्रणाली में भाग लेने का अधिकार है।

याचिका के अनुसार, पार्क प्रशासन ने हाल ही में जिप्सी ऑपरेटरों के लिए एक “विशेष श्रेणी” बना दी है, जिसके चलते पिछले दो वर्षों में RTO से परमिट प्राप्त करने वाले स्थानीय वाहन मालिकों को भाग लेने से रोका जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह कदम अदालत के पूर्व आदेशों के भी खिलाफ है, जिनमें सभी पात्र परमिट धारकों को अवसर देने की बात कही गई थी।

उन्होंने यह भी कहा कि कई जिप्सी ऑपरेटरों ने पिछले वर्ष वाहन खरीदकर औपचारिकताएं पूरी की थीं, लेकिन नई नीति के कारण वे अब रोजगार से वंचित हो गए हैं।

READ ALSO  सामुदायिक रसोई स्थापित करने पर याचिका: सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी निर्देश देने से इनकार किया

मामले की अगली सुनवाई निदेशक द्वारा रिपोर्ट दाखिल करने के बाद होगी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles