एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय हस्तक्षेप में, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्थानीय नदी में लाखों मछलियों की मौत के कारण हुए गंभीर प्रदूषण की घटना का स्वतः संज्ञान लिया है। न्यायालय की यह कार्रवाई 20 जुलाई, 2024 को दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट के बाद की गई है, जिसमें मुंगेली जिले में शराब बनाने वाली कंपनी मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए गए प्रदूषण पर प्रकाश डाला गया है।
मामले की पृष्ठभूमि
“शराब फैक्ट्री से घटिया स्पिरिट सीधे नदी में… इसी से लाखों मछलियाँ मरीं, 20 हज़ार की आबादी भी परेशान” शीर्षक वाली चिंताजनक समाचार रिपोर्ट ने गंभीर पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को उजागर किया। रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड से निकलने वाला हानिकारक अपशिष्ट किस तरह से नदी में बहता है। मोहभट्टा-धूमा गांव में स्थित भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के अपशिष्ट जल को नदी में बहाया जा रहा था, जिससे जलीय जीवन को भारी नुकसान पहुंचा और स्थानीय आबादी की आजीविका और स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा था।
शामिल कानूनी मुद्दे
अदालत ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दों की पहचान की:
– पर्यावरण संरक्षण: प्राथमिक चिंता पर्यावरण कानूनों और विनियमों का उल्लंघन है, विशेष रूप से औद्योगिक अपशिष्टों के निर्वहन को नियंत्रित करने वाले कानून।
– सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा: स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर प्रदूषण का प्रभाव, जिसमें जल स्रोतों का संदूषण और कृषि क्षेत्रों का विनाश शामिल है।
– कॉर्पोरेट जिम्मेदारी: पर्यावरण मानकों का पालन करने के लिए भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड की जवाबदेही और उनके गैर-अनुपालन के परिणाम।
अदालत का फैसला
डब्ल्यूपीपीआईएल नंबर 50 ऑफ 2024 के रूप में पंजीकृत मामले की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की पीठ ने की। न्यायालय ने समाचार के आधार पर इस जनहित याचिका (पीआईएल) को पंजीकृत करने का निर्देश दिया तथा कई तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया:
1. प्रतिवादियों को नोटिस: न्यायालय ने मुख्य सचिव, सचिव सह आबकारी आयुक्त, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के सचिव, बिलासपुर संभाग के आयुक्त, बिलासपुर के कलेक्टर, बिलासपुर के सहायक आबकारी आयुक्त तथा बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य को नोटिस जारी किया।
2. कंपनी को पक्षकार बनाना: मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को याचिका में पक्षकार प्रतिवादी संख्या 8 के रूप में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया गया।
3. रिपोर्ट प्रस्तुत करना: न्यायालय ने प्रदूषण की घटना तथा इसे संबोधित करने के लिए किए गए उपायों के संबंध में राज्य तथा पर्यावरण संरक्षण बोर्ड से विस्तृत रिपोर्ट मांगी।
4. अगली सुनवाई: प्रतिक्रियाओं की समीक्षा करने तथा आगे की कार्रवाई करने के लिए मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई, 2024 को निर्धारित की गई।
न्यायालय की टिप्पणियां
अपनी टिप्पणियों में न्यायालय ने गंभीर पर्यावरणीय प्रभाव तथा उपचारात्मक उपायों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। पीठ ने टिप्पणी की:
“मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा नदी में घटिया गुणवत्ता वाली स्पिरिट्स के निर्वहन से पर्यावरण को गंभीर खतरा पैदा हुआ है, जिससे लाखों मछलियाँ मर गई हैं और लगभग 20,000 लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। यह न्यायालय ऐसी औद्योगिक लापरवाही के गंभीर परिणामों को नजरअंदाज नहीं कर सकता।”
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पक्ष और प्रतिनिधित्व
– याचिकाकर्ता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा स्वप्रेरणा से जनहित याचिका।
– प्रतिवादी:
– मुख्य सचिव के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य
– सचिव सह आबकारी आयुक्त
– सचिव, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड
– आयुक्त, बिलासपुर संभाग
– कलेक्टर, बिलासपुर
– सहायक आबकारी आयुक्त, बिलासपुर
– पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर
– मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड
शामिल वकील
– राज्य के लिए: श्री आर.के. गुप्ता, अतिरिक्त महाधिवक्ता
– पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के लिए: अभी नाम नहीं बताया गया
– मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के लिए: अभी नाम नहीं बताया गया