सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ एक इन-हाउस जांच की शुरुआत की है। यह कदम उनके आवास से बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी मिलने के बाद उठाया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला तब सामने आया जब न्यायमूर्ति वर्मा के घर में आग लग गई और दमकलकर्मियों ने बचाव कार्य के दौरान नकदी का यह भंडार खोज निकाला।
शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल न्यायालय — इलाहाबाद हाई कोर्ट — में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी। हालांकि, शुक्रवार सुबह हुई पूर्ण पीठ बैठक में सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों ने यह माना कि केवल स्थानांतरण इस गंभीर मामले के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि एक औपचारिक इन-हाउस जांच की जाएगी। स्थानांतरण की प्रक्रिया अब भी सरकारी स्वीकृति की प्रतीक्षा में है।
आज न्यायमूर्ति वर्मा ने किसी भी न्यायिक कार्यवाही की अध्यक्षता नहीं की। उनके स्टाफ ने बताया कि वे अवकाश पर हैं।

1969 में जन्मे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और 1992 में वकालत की शुरुआत की। वे इलाहाबाद हाई कोर्ट में विशेष अधिवक्ता और उत्तर प्रदेश राज्य के लिए मुख्य स्थायी अधिवक्ता के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्हें 2013 में वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया और 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 2017 में वे स्थायी न्यायाधीश बने और अक्टूबर 2021 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया।