सिविल विवाद में आपराधिक धाराएं लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस पर ₹50,000 जुर्माना लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में सिविल विवादों को आपराधिक मुकदमों में बदलने की प्रवृत्ति पर कड़ा रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश के दो पुलिस अधिकारियों पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना एक संपत्ति विवाद में अनुचित तरीके से एफआईआर दर्ज करने को लेकर लगाया गया, जिसे अदालत ने पूर्व के अनेक निर्णयों के विरुद्ध बताया।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, “सिविल विवादों में आपराधिक मुकदमे दर्ज करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है।” अदालत ने यह भी कहा कि यह पुलिस द्वारा सिविल कानून के क्षेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप का उदाहरण है।

READ ALSO  SC to Lay Down Principles for Judicial Promotions; Larger Bench May Hear Case

यह मामला कानपुर के रिखब बिरानी और साधना बिरानी से जुड़ा है, जिनके खिलाफ शिल्पी गुप्ता नामक महिला ने एक संपत्ति सौदे के विवाद को लेकर धोखाधड़ी और धमकी की धाराओं में मामला दर्ज करवाने का प्रयास किया। गुप्ता ने संपत्ति के लिए आंशिक भुगतान किया था, लेकिन तय समय पर बाकी रकम नहीं दी। इसके चलते बिरानी परिवार ने वह संपत्ति किसी और को बेच दी। इस पर गुप्ता ने स्थानीय अदालतों में आपराधिक मामला दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन दोनों बार अदालतों ने इसे सिविल प्रकृति का विवाद मानते हुए खारिज कर दिया।

Video thumbnail

फिर भी स्थानीय पुलिस ने बिरानी परिवार पर धोखाधड़ी और धमकी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा एफआईआर रद्द करने से इनकार करने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि यह कोई एकल मामला नहीं है और उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि राज्य पुलिस महानिदेशक इस मामले पर हलफनामा दाखिल करें।

READ ALSO  सात भाजपा विधायकों ने बजट सत्र से निलंबन को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया

यह निर्णय न केवल पुलिस की जवाबदेही तय करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि सिविल विवादों को आपराधिक रंग देने की प्रवृत्ति न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

READ ALSO  वैवाहिक विवाद में आपराधिक कार्यवाही को सुलह के आधार पर अनुच्छेद 142 या धारा 482 CrPC के तहत रद्द किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles