झारखंड हाईकोर्ट का फैसला: ‘आदिवासी’ कहने मात्र से नहीं बनता SC/ST एक्ट के तहत अपराध

एक महत्वपूर्ण निर्णय में, झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति को “आदिवासी” कहकर संबोधित करना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता। यह फैसला एक याचिका पर आया जिसे एक सरकारी कर्मचारी सुनील कुमार ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देते हुए दायर किया था।

न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि “आदिवासी” शब्द संविधान की अनुसूची में सूचीबद्ध किसी विशेष जनजाति को निर्दिष्ट नहीं करता है। अतः जब तक पीड़ित संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त किसी अनुसूचित जनजाति से संबंध नहीं रखता, तब तक केवल “आदिवासी” शब्द के प्रयोग से SC/ST एक्ट के तहत अपराध सिद्ध नहीं होता।

READ ALSO  गर्भपात की मंजूरी देने का आधार हो सकती है घरेलू हिंसा:--बॉम्बे हाई कोर्ट

मामला उस प्राथमिकी से शुरू हुआ था जो एक आदिवासी महिला ने दुमका पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई थी। महिला ने आरोप लगाया था कि जब वह सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक आवेदन देने के लिए सुनील कुमार के कार्यालय गई थी, तब कुमार ने आवेदन लेने से इनकार कर उसे “पागल आदिवासी” कहकर अपमानित किया। इसके अलावा, महिला ने आरोप लगाया कि कुमार ने उसे जबरन कार्यालय से बाहर निकाल दिया और उसे अपमानित किया।

Video thumbnail

सुनील कुमार की ओर से अधिवक्ता चंदना कुमारी ने दलील दी कि “आदिवासी” शब्द का प्रयोग किसी विशेष अनुसूचित जनजाति के संदर्भ में नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि कुमार ने महिला की किसी विशिष्ट जाति या जनजातीय पहचान का उल्लेख नहीं किया था, इसलिए इस मामले में SC/ST एक्ट लागू नहीं होता।

READ ALSO  साल की चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत में 1.17 करोड़ मामले सुलझे
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles