सुप्रीम कोर्ट: ‘पब्लिक प्लेस’ में उपयोग न होने पर मोटर वाहन कर नहीं लगेगा

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मोटर वाहन कर (Motor Vehicle Tax) तभी वसूल किया जा सकता है जब वाहन का उपयोग या उपयोग के लिए उसे ‘पब्लिक प्लेस’ में रखा गया हो। यदि वाहन केवल किसी निजी या प्रतिबंधित क्षेत्र तक सीमित है, तो उस पर कर नहीं लगाया जा सकता।

न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति उज्जल भूयान की पीठ ने यह फैसला आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के दिसंबर 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनाते हुए दिया। मामला विशाखापट्टनम स्थित राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) के केंद्रीय प्रेषण यार्ड में वाहनों के उपयोग को लेकर उठा था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मोटर वाहन कर मुआवजा स्वरूप (compensatory) है और इसका सीधा संबंध सार्वजनिक अवसंरचना, जैसे सड़कें और राजमार्ग, के उपयोग से है।
“यदि कोई मोटर वाहन ‘पब्लिक प्लेस’ में उपयोग नहीं हो रहा है या उपयोग हेतु वहां नहीं रखा गया है, तो वाहन मालिक सार्वजनिक अवसंरचना का लाभ नहीं ले रहा है। ऐसी स्थिति में उसे मोटर वाहन कर से बोझिल नहीं किया जा सकता,” अदालत ने कहा।

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न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आंध्र प्रदेश मोटर वाहन कराधान अधिनियम, 1963 की धारा 3 करारोपण की मूल धारा है और इसमें ‘पब्लिक प्लेस’ शब्द का प्रयोग जानबूझकर किया गया है। इसलिए कर देयता तभी उत्पन्न होती है जब वाहन वास्तव में सार्वजनिक स्थान में उपयोग हो या उपयोग हेतु रखा गया हो।

मामले में अपीलकर्ता कंपनी 1985 से लॉजिस्टिक सपोर्ट का कार्य कर रही है और नवंबर 2020 में उसे विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के केंद्रीय प्रेषण यार्ड में लोहा-इस्पात सामग्री के प्रबंधन का ठेका मिला था।

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कंपनी ने वहां 36 वाहन लगाए थे, जो पूरी तरह से चारदीवारी से घिरे क्षेत्र में संचालित होते थे। यहां प्रवेश और निकास सीआईएसएफ (CISF) द्वारा नियंत्रित था और आम जनता को प्रवेश की अनुमति नहीं थी।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जब वाहन केवल इस प्रतिबंधित परिसर तक ही सीमित थे, तो उन्हें ‘पब्लिक प्लेस’ में उपयोग किया हुआ नहीं माना जा सकता। इस प्रकार उन पर कर लगाने का प्रश्न ही नहीं उठता।

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कंपनी ने आंध्र प्रदेश कर प्राधिकरण से कर में छूट की मांग की थी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कंपनी के पक्ष में फैसला देते हुए ₹22.71 लाख की वापसी का आदेश दिया था, लेकिन बाद में डिवीजन बेंच ने इसे पलट दिया।

अब सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की अपील स्वीकार कर ली है और यह सिद्धांत स्थापित किया है कि मोटर वाहन कर केवल सार्वजनिक अवसंरचना के उपयोग की स्थिति में ही देय होगा।

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