इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेसी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को फौरी राहत देते हुए 22 साल पुराने सार्वजनिक सम्पत्ति नुकसान पहुंचाने के मामले में आरोप पत्र सहित सभी रिकॉर्ड मुहैया कराने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि याची को सभी रिकॉर्ड सात दिन में मुहैया कराई जाए और शुक्रवार नौ जून को होने वाली सुनवाई को हफ्ते भर के लिए टाल दिया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की पीठ ने रणदीप सिंह सुरजेवाला की ओर से दाखिल याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची की ओर से उनके वरिष्ठ अधिवक्ता एसजी हसनैन ने कहा कि कांग्रेसी नेता के खिलाफ 22 साल बाद मामले की सुनवाई की जा रही है। वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट ने याची के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है। जबकि उसे आज तक आरोप पत्र सहित प्राथमिकी से जुड़े रिकॉर्डों को पूरा उपलब्ध नहीं कराए गए। मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 17 अप्रैल 2023 को आदेश भी दिया गया लेकिन उसके आदेश का अनुपालन पूरी तरह से नहीं कराया गया। इसी वजह से याची ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है।
हालांकि, अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत याची को आरोपपत्र सहित अन्य रिकॉर्ड मुहैया करा दिया गया है। इसमें कोई विवाद नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर याची आरोप पत्र सहित अन्य रिकॉर्ड चाहता है तो उन्हें देने में कोई आपत्ति नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि याची प्राथमिकी से जुड़े रिकॉर्ड पाने का हकदार है। लिहाजा, उसे सात दिन में सभी रिकॉर्ड मुहैया कराया जाए और नौ जून की सुनवाई को एक हफ्ते बाद की जाए।
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कोर्ट ने यह भी कहा है कि याची रिकॉर्ड मिलने के बाद अगले सात दिनों के भीतर मामले में उन्मोचन अर्जी दाखिल कर सकेगा। निचली अदालत उसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत निष्पादन करेगी। निचली अदालत से यह भी कहा है कि मामला बहुत पुराना है। इसलिए निश्चित समयावधि के भीतर निस्तारित करे। कोर्ट ने याची को भी निचली अदालत का पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया है।
कांग्रेसी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला सहित कई युवा कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ आयुक्त कार्यालय परिसर में जबरन घुसकर सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।