सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ उस मामले में चल रही कार्यवाही पर अपनी अंतरिम रोक 22 अप्रैल 2026 तक बढ़ा दी, जो उनकी 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना के संदर्भ में कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़ा है।
जस्टिस एम एम सुन्दरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने गांधी की उस अपील को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 29 मई के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके समन रद्द करने के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था। यह समन लखनऊ स्थित ट्रायल कोर्ट ने निजी शिकायत पर जारी किया था।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले 4 अगस्त को अगली सुनवाई तक कार्यवाही पर रोक लगाई थी। अदालत ने अब कहा कि वह इस मामले को विस्तार से सुनेगी और संबंधित पक्षों के जवाब मिलने के बाद आगे विचार करेगी।
पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने राहुल गांधी से उस कथित बयान पर सवाल किए थे, जिसमें उन्होंने कहा बताया गया कि 2,000 वर्ग किमी भारतीय भूमि पर चीन ने कब्जा कर लिया है।
पीठ ने कहा था,
“आपको यह कैसे पता चला कि 2,000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर चीन ने कब्जा किया है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है?”
अदालत ने यह भी टिप्पणी की थी,
“बिना किसी सामग्री के आप ऐसे बयान क्यों देते हैं? अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसी बात नहीं कहेंगे।”
इसके बाद अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता से जवाब मांगा था।
गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि यदि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सार्वजनिक मुद्दों पर बोल ही न सके, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी।
उन्होंने भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 223 का हवाला दिया और कहा कि निजी शिकायत पर संज्ञान लेने से पहले आरोपी को सुनवाई का अवसर दिया जाना अनिवार्य है, जो इस मामले में नहीं हुआ।
शिकायतकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने चीन से विवाद के संदर्भ में भारतीय सेना को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था।
ट्रायल कोर्ट ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए गांधी को मानहानि के आरोप में तलब किया था।
गांधी की ओर से पहले निचली अदालत में पेश अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने तर्क दिया था कि आरोप “केवल शिकायत पढ़ने से ही मनगढ़ंत प्रतीत होते हैं” और अदालत को समन जारी करने से पहले इसकी सत्यता की जांच करनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी कहा कि गांधी लखनऊ निवासी नहीं हैं, इसलिए न्यायालय को क्षेत्राधिकार और आरोपों की प्रारंभिक जांच पहले करनी चाहिए थी।
अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक बढ़ाए जाने और अपील स्वीकार करने के बाद यह मामला अप्रैल 2026 में विस्तृत सुनवाई के लिए आएगा।

