सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण खत्म किए जाने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई 25 जुलाई तक के लिए टाल दी है। आज राज्य सरकार ने सुनवाई टालने का आग्रह किया था। इस दरम्यान नई नीति के आधार पर कोई भी दाखिला या नौकरी में भर्ती नहीं की जाएगी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील दुष्यंत दवे ने कोर्ट का ध्यान गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान की ओर दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमने मुस्लिम आरक्षण को खत्म कर दिया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब मामला कोर्ट में विचाराधीन हो तो ऐसे सार्वजनिक बयान नहीं दिए जाने चाहिए।
13 अप्रैल को कर्नाटक सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया था कि इस फैसले के मुताबिक राज्य में कोई दाखिला या नौकरी में भर्ती नहीं की जाएगी। 13 अप्रैल को कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया था।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सरकार ने राज्य में मुस्लिम समुदाय के लिए चार फीसदी आरक्षण के प्रावधान को खत्म कर दिया। मुसलमानों के अब तक दिए जाने वाले चार फीसदी आरक्षण को वोक्कालिगा और लिंगायत के बीच बांट दिया गया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले को अंजुमन-ए-इस्लाम संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक सरकार का मुस्लिम समुदाय को पिछड़े वर्ग की सूची से बाहर करने का फैसला संविधान का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि यह फैसला पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा दी गई किसी भी रिपोर्ट या सलाह पर आधारित नहीं है, क्योंकि कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1995 के तहत एक वैधानिक रूप में इसे पास किया जाना जरूरी है। याचिका में राज्य सरकार के इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताते हुए आदेश को रद्द करने की मांग की गई है।