कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि मोटर वाहन दुर्घटनाओं से संबंधित चिकित्सा व्यय के लिए दिए गए मुआवजे को मेडिक्लेम बीमा पॉलिसियों द्वारा पहले से कवर की गई किसी भी राशि के हिसाब से समायोजित किया जाना चाहिए। यह निर्णय न्यायमूर्ति हंचते संजीवकुमार ने सड़क दुर्घटना में घायल हुए बेंगलुरु निवासी एस हनुमनथप्पा के परिवार से जुड़े एक मामले में सुनाया।
यह घटना 10 दिसंबर, 2008 को हुई थी, जब लेपाक्षी से सेवा मंदिर गांव जाते समय हनुमनथप्पा की मोटरसाइकिल को एक ऑटोरिक्शा ने टक्कर मार दी थी। उन्हें और उनकी पत्नी दोनों को गंभीर चोटें आईं। दुर्घटना के बाद, हनुमनथप्पा को 22 मार्च, 2013 को बेंगलुरु में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा 6,73,839 रुपये का मुआवजा दिया गया, जिसमें चिकित्सा व्यय के लिए 5,24,639 रुपये शामिल थे।
हालांकि, बीमा कंपनी ने इस निर्णय के खिलाफ अपील की, जिसमें तर्क दिया गया कि हनुमंथप्पा को अपनी मेडिक्लेम पॉलिसी के माध्यम से पहले से प्राप्त 1.8 लाख रुपये को दिए गए चिकित्सा व्यय से काट लिया जाना चाहिए। इस तर्क को बरकरार रखते हुए, अदालत ने मनीष गुप्ता मामले में स्थापित एक मिसाल का हवाला दिया, जिसमें अंतिम मुआवजे की गणना में मेडिक्लेम प्रतिपूर्ति पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

नतीजतन, चिकित्सा व्यय के लिए मुआवजे की पुनर्गणना मेडिक्लेम प्रतिपूर्ति को घटाने के बाद 3,44,639 रुपये की गई। इस प्रकार समायोजित कुल मुआवजा 4,93,839 रुपये आया, जिसे अदालत ने 6% वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया।