जेल से रिहा होने के बाद रिपब्लिक भारत के एडिटर इन चीफ अर्णव गोस्वामी बीते 12 नवम्बर को अपने लाइव शो के दौरान वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे का आभार व्यक्त किया।
हरीश साल्वे ने वर्ष 2018 में इंटीरियर डिज़ाइनर के आत्महत्या मामले में अर्णव को जमानत दिलवाने में सफल हुए थे।
वरिष्ठ एडवोकेट हरीश साल्वे की इसी सहायता के लिए अर्णव गोस्वामी ने रात 9 बजे के डिबेट शो में उनका आभार जताया था और कहा कि उन्होंने फीस के तौर पर एक रुपया तक नही लिया।
आगे कहा कि मैं नही जानता कि आप लोग कितना उन्हें जानते है हरीश साल्वे जी ने अपने कीमती उपस्थिति के लिए एक रुपया तक नही लिया ।
आपको बताते चलें कि अर्णव गोस्वामी के खिलाफ सन 2018 में अन्वय नाइक को 83 लाख रुपए नही चुकाया था । यह मामला 2019 में साक्ष्यों के अभाव में बंद हो चुका था। लेकिन अर्णव को फसाने के लिए इसे महाराष्ट्र सरकार ने री ओपेन करवा दिया था।
हरीश साल्वे ने इसी मामले में अर्णव को जमानत दिलवाई थी। हरीश साल्वे ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ” अन्वय नाइक आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे जिसके चलते उन्होंने खुदकुशी की फिर यह खुदकुशी को उकसाने वाला मामला हो गया ।
उकसाने के लिए अपराध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होना चाहिए यदि कल को कोई आत्महत्या कर ले और उसका जिम्मेदार महाराष्ट्र सरकार को ठहराय तो क्या मुख्यमंत्री को अरेस्ट किया जाएगा। व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हवाला देते हुए अर्णव की अग्रिम जमानत की मांग की ।”
बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अर्णव गोस्वामी को इस प्रकरण में जमानत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूर्ण ने कहा कि जमानत न देना हाई कोर्ट की गलती थी।
आगे जस्टिस चंद्रचूर्ण ने कहा कि अगर हम आज इस मामले में हस्तक्षेप नही करते तो बर्बादी की राह पर चल देते और कहा कि किसी की विचारधारा अलग हो सकती है और वो चैनल नही देखते लेकिन संवैधानिक अदालते यदि ऐसी सुरक्षा नही करती है तो वह बर्बादी की राह पर बढ़ रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने अर्णव के साथ अन्य दो आरोपियों को 50000 रुपये के निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत पर रिहा कर दिया।