दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एनजीओ ‘कुटुंब’ को निर्देश दिया कि वह 4 जुलाई को करोल बाग स्थित विशाल मेगा मार्ट में लगी आग की घटना की कोर्ट-निगरानी जांच की मांग को लेकर अलग याचिका दायर करे। इस भीषण हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस अग्निकांड को पहले से लंबित एक अन्य मामले—राजिंदर नगर में हुई जलभराव की त्रासदी—के साथ जोड़ा नहीं जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ ने कहा कि दोनों मामलों का कारण अलग-अलग है। पीठ ने कहा, “अलग याचिका दायर करें। दोनों मामलों के कारण अलग हैं। कोचिंग सेंटर वाले मामले में बाढ़ थी, यहां आग है।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह एक ही कार्यवाही में दोनों मुद्दों की निगरानी नहीं कर सकता।
उल्लेखनीय है कि यह याचिका जुलाई 2024 की उस घटना से संबंधित मामले में दाखिल की गई थी, जिसमें ओल्ड राजिंदर नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में नाले के फटने से पानी भर गया था और तीन यूपीएससी अभ्यर्थियों की मौत हो गई थी।

आग से संबंधित आवेदन में एनजीओ ने विशाल मेगा मार्ट के प्रबंधन, दिल्ली पुलिस, दमकल विभाग और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। याचिका में आग और सुरक्षा मानकों के पालन में भारी चूक की ओर ध्यान दिलाया गया और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में बिना अनिवार्य शर्तों को पूरा किए व्यवसायिक लाइसेंस व अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) जारी किए जाने पर सवाल उठाए गए।
एनजीओ ने यह भी मांग की कि नगर निगम और सुरक्षा अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाए और यह आकलन किया जाए कि क्या विशाल मेगा मार्ट तथा आसपास की अन्य व्यावसायिक इकाइयों के पास वैध स्वीकृतियां हैं या नहीं।
इसके अतिरिक्त, याचिका में करोल बाग और आस-पास के क्षेत्रों में संचालित अवैध शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, रेस्तरां, कोचिंग सेंटर आदि को तुरंत बंद करने की मांग की गई है, जब तक कि एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल न हो जाए।