सोलन की एक सत्र न्यायालय ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) किसानों के लिए चलाई जा रही बीज वितरण योजना के तहत ₹1.78 लाख के गबन के मामले में कृषि विभाग के दो पूर्व अधिकारियों को कुल 5 वर्षों की सजा सुनाई है।
दोषी पाए गए अधिकारियों में हरि दत्त शर्मा, जो उस समय विभाग में कैशियर थे, और दया नंद गर्ग, जो डारलाघाट में कृषि विस्तार अधिकारी थे, शामिल हैं। इन दोनों को आपराधिक साजिश और आपराधिक विश्वासघात का दोषी पाया गया है, साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी अपराध साबित हुआ।
हरि दत्त शर्मा को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत तीन साल की सजा दी गई है। इसके अलावा, उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) के तहत दो साल की अतिरिक्त सजा और ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया गया है।

दया नंद गर्ग को भी इसी तरह तीन साल की IPC धाराओं के तहत और दो साल की सजा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(c) के तहत सुनाई गई है। उन्हें ₹10,000 का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है।
यह मामला पशुपालन विभाग के निदेशक द्वारा वर्ष 2003–2004 में सरकारी बीज वितरण योजना में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर दर्ज की गई शिकायत से शुरू हुआ था। राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (SV-ACB), सोलन की जांच में यह सामने आया कि शर्मा ने ₹1,69,329 जमा नहीं किए थे, जबकि गर्ग से ₹15,822 की वसूली हुई थी।
न्यायालय ने यह भी माना कि इस गड़बड़ी को रोकने में उच्च अधिकारियों की निगरानी में लापरवाही हुई और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है।