आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एनडीपीएस मामले में गांजा की पहचान प्रक्रिया में खामियों के आधार पर दी जमानत

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत गिरफ्तार दो आरोपियों को नियमित जमानत दी है, यह कहते हुए कि पुलिस ने ‘गांजा’ की वैधानिक परिभाषा के अनुसार फूलदार शीर्षों को बीजों और पत्तियों से अलग किए बिना जब्ती की प्रक्रिया पूरी की, जो कानूनन आवश्यक था।

यह निर्णय न्यायमूर्ति डॉ. वेंकटा ज्योतिर्मयी प्रतापा की एकलपीठ ने क्रिमिनल पिटीशन संख्या 5306/2025 में सुनाया, जिसे किल्लो सुब्बाराव और उनकी पत्नी द्वारा दायर किया गया था। दोनों आरोपी क्राइम संख्या 1/2025 में नामित थे, जो जी. मडुगुला पुलिस स्टेशन, आंध्र प्रदेश में दर्ज की गई थी। उन पर एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 20(b)(ii)(C), 25 पठित धारा 8(c) के तहत आरोप लगाए गए थे।

पृष्ठभूमि

प्रसंज्ञान के अनुसार, आरोपियों को 32 किलोग्राम गांजा के साथ पकड़ा गया, जिसे उन्होंने ओडिशा से खरीदकर आंध्र प्रदेश में पुनः बिक्री के लिए लाया था। पुलिस ने उक्त सामग्री जब्त कर उनके विरुद्ध एनडीपीएस एक्ट के तहत अभियोग दर्ज किया।

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याचिकाकर्ताओं का पक्ष

याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने दलील दी कि जब्त की गई सामग्री एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2(iii)(b) एवं (c) में परिभाषित ‘गांजा’ की श्रेणी में नहीं आती। तर्क दिया गया कि बीज, पत्ते और तने तब तक ‘गांजा’ की परिभाषा में नहीं आते जब तक वे फूलदार या फलदार शीर्षों के साथ न हों। चूंकि पुलिस ने इन भागों को अलग किए बिना वजन किया, इसलिए इसे वाणिज्यिक मात्रा मानना अनुचित है। साथ ही कहा गया कि धारा 37 के तहत कठोर शर्तें इस मामले में उचित रूप से लागू नहीं होतीं।

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अभियोजन पक्ष की दलील

राज्य की ओर से सहायक लोक अभियोजक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जब्त की गई मात्रा वाणिज्यिक है और एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के अनुसार जमानत नहीं दी जा सकती।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

न्यायमूर्ति प्रतापा ने याचिकाकर्ताओं के तर्क को स्वीकार करते हुए कहा:

“एनडीपीएस अधिनियम के तहत गांजा की परिभाषा में केवल फूलदार या फलदार शीर्ष शामिल हैं और बीज व पत्तियों को इससे तब तक बाहर रखा गया है जब तक वे इन शीर्षों के साथ न हों। जैसा कि अभिलेख से स्पष्ट है, पुलिस ने जब्त की गई सामग्री का वजन करते समय फूलदार शीर्षों को अन्य भागों से अलग नहीं किया।”

न्यायालय का निर्णय व शर्तें

न्यायालय ने दोनों याचिकाकर्ताओं को नियमित जमानत प्रदान की और निम्नलिखित शर्तें लगाईं:

  • प्रत्येक याचिकाकर्ता को ₹20,000 का निजी मुचलका एवं समान राशि के दो जमानती प्रस्तुत करने होंगे।
  • उन्हें हर रविवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक संबंधित थाना प्रभारी के समक्ष उपस्थित होना होगा, जब तक कि आरोपपत्र दाखिल न हो जाए।
  • वे किसी भी गवाह या प्रकरण से संबंधित व्यक्ति को धमकाने, प्रभावित करने या बहलाने का प्रयास नहीं करेंगे।
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न्यायालय ने अंततः याचिका स्वीकार कर ली।

मामला: किल्लो सुब्बाराव एवं अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य
मामला संख्या: क्रिमिनल पिटीशन संख्या 5306/2025

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