दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक धोखाधड़ी के मामले में घोषित अपराधी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि मामला ऐसा नहीं है जिसमें कोई असाधारण या विशेष परिस्थिति पाई गई हो जो अग्रिम जमानत दिए जाने को न्यायोचित ठहराए।
न्यायमूर्ति रविंदर दुडेजा ने यह आदेश जगदीश दास की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। दास के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और विश्वस्त व्यक्ति द्वारा आपराधिक विश्वासघात के आरोपों में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा मामला दर्ज किया गया है।
अदालत ने यह पाया कि याचिकाकर्ता ने बार-बार अदालत के निर्देशों की अवहेलना की है। वह न तो जांच में शामिल हुआ और न ही गैर-जमानती वारंट (NBW) और उद्घोषणा जारी होने के बाद भी अदालत के समक्ष पेश हुआ।

अदालत ने कहा, “स्थिति रिपोर्ट से स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता ने ट्रायल कोर्ट के आदेशों की लगातार अवहेलना की है। उसने न तो जांच में सहयोग किया और न ही अदालत में हाजिर हुआ, जिससे उसकी निरंतर अवज्ञा स्पष्ट होती है।”
अदालत ने स्थापित विधिक सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए दोहराया कि जब तक कोई असाधारण परिस्थिति न हो, घोषित अपराधी को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “वर्तमान मामला ऐसा कोई असाधारण या असामान्य मामला नहीं है जिसमें न्यायालय अपने विवेकाधीन अधिकार का उपयोग कर सके। समग्र परिस्थितियों के आलोक में याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं है।”