बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ दर्ज उस FIR को रद्द कर दिया है, जिसमें उन पर एक एयरलाइन के केबिन क्रू सदस्य की शील भंग करने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने यह कहते हुए मामला समाप्त कर दिया कि यह एक निजी विवाद था और अब अभियोजन की आवश्यकता नहीं है।
न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति एस.एम. मोडक की खंडपीठ ने 8 मई 2025 को पूर्व पुलिस उपायुक्त मधुकर सांखे के पक्ष में यह आदेश दिया, जिन्होंने अपने खिलाफ पिछले वर्ष दर्ज मामले को रद्द कराने के लिए अदालत का रुख किया था।
FIR 24 अगस्त 2024 को माटुंगा पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 79 के तहत दर्ज की गई थी, जो किसी महिला की शील भंग करने के उद्देश्य से किए गए शब्दों या इशारों से संबंधित है। यह शिकायत सांखे और शिकायतकर्ता (केबिन क्रू सदस्य) के बीच उनके हाउसिंग सोसाइटी में पार्किंग को लेकर हुए विवाद से जुड़ी थी।
शिकायत के अनुसार, पास की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा के एक साइनबोर्ड को पेंटिंग कार्य के दौरान अस्थायी रूप से शिकायतकर्ता की कार पार्किंग जगह के पास रख दिया गया था, जिससे उनकी कार खड़ी करने में दिक्कत हुई। जब शिकायतकर्ता ने सोसाइटी के सचिव के रूप में कार्यरत सांखे से समाधान के लिए संपर्क किया, तो दोनों के बीच बहस हो गई, जिसमें सांखे पर जोर से चिल्लाने और अनुचित भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया गया।
हालांकि, अदालत ने यह नोट किया कि दोनों पक्ष अब समझौता कर चुके हैं और एक ही सोसाइटी में शांतिपूर्वक रह रहे हैं। अदालत ने कहा, “पक्षकारों के बीच विवाद पूरी तरह से निजी है। दोनों एक ही सोसाइटी में रहते हैं और आज के दिन वे शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं। ऐसे में यदि अभियोजन जारी रखा जाता है तो कोई उद्देश्य प्राप्त नहीं होगा।”
शिकायतकर्ता ने भी हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा कि उन्हें अब मामले की रद्दीकरण पर कोई आपत्ति नहीं है और वह इस घटना को पीछे छोड़ना चाहती हैं।
2016 में वर्ली पुलिस मुख्यालय से सेवानिवृत्त हुए सांखे ने अदालत के इस फैसले पर राहत व्यक्त की।