सरकार ने कर कानूनों को सरल और सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से इनकम-टैक्स बिल, 2025 का प्रस्ताव रखा है। यह नया बिल, जो 622 पन्नों का है, मौजूदा 823 पन्नों के जटिल कानून की जगह लेने वाला है। इस बिल की सबसे बड़ी खासियत ‘टैक्स ईयर’ (Tax Year) का नया कॉन्सेप्ट है, जो आय की रिपोर्टिंग और कराधान की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।
क्या है नया ‘टैक्स ईयर’ सिस्टम?
नए सिस्टम के तहत, ‘टैक्स ईयर’ हर साल 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को समाप्त होगा, जो वित्तीय वर्ष के अनुरूप होगा। विशेष रूप से व्यवसायों और पेशेवरों के लिए यह बदलाव अहम है, क्योंकि उनकी कर गणना उनके व्यवसाय या पेशे की शुरुआत की तारीख से शुरू होगी और उसी वित्तीय वर्ष के अंत तक चलेगी।
पहले के सिस्टम में, ‘आकलन वर्ष’ (Assessment Year) का उपयोग किया जाता था, जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष की आय का आकलन किया जाता था। उदाहरण के लिए, 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक अर्जित आय को आकलन वर्ष 2025-26 में आंका जाता। नए नियमों से इस प्रक्रिया को ज्यादा सरल और समयबद्ध बनाने की उम्मीद है।
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डिजिटल संपत्तियों पर सख्त प्रावधान
बिल में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (Virtual Digital Assets) को लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं। अब इन्हें गुप्त आय के रूप में खोजबीन के दौरान नकद, आभूषण और सोने की तरह गिना जाएगा।
संरचनात्मक बदलाव और कानून की सरलता
इस बिल में कुल अध्यायों की संख्या 23 ही बनी रहेगी, लेकिन सेक्शन की संख्या 298 से बढ़ाकर 536 कर दी गई है और शेड्यूल भी 14 से 16 हो गए हैं। इस पुनर्गठन से यह स्पष्ट है कि सरकार कानून को अधिक व्यापक बनाते हुए इसे समझने और लागू करने में आसानी सुनिश्चित करना चाहती है।
यह इनकम-टैक्स बिल, 2025 संसद में गुरुवार को पेश किए जाने की संभावना है और इसे भारत के कर ढांचे को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।