नई दिल्ली, 24 जनवरी 2025 – सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक दूल्हे की धारा 498A भारतीय दंड संहिता (IPC) और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 के तहत दोषसिद्धि बरकरार रखी। इस मामले में दूल्हे ने शादी के बाद दुल्हन के परिवार से 100 तोला सोने की मांग की थी और जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो शादी समारोह में सहयोग करने से इनकार कर दिया। हालाँकि, कोर्ट ने आरोपी की सजा को पहले से भुगती गई अवधि तक सीमित कर दिया और उसे ₹3 लाख का मुआवजा पीड़िता को देने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने एम. वेंकटेश्वरन की अपील को खारिज करते हुए उनकी सजा बरकरार रखी, लेकिन यह देखते हुए कि दोनों पक्ष अब आगे बढ़ चुके हैं, कोर्ट ने अतिरिक्त जेल की सजा देने के बजाय मुआवजा देने का आदेश दिया।
तीन दिन में ही खत्म हुई शादी
यह मामला साल 2006 का है जब वेंकटेश्वरन की शादी श्रीदेवी (PW-4) से हुई थी। पीड़िता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि शादी से पहले ही दूल्हे के परिवार ने 60 तोला सोना दुल्हन के लिए और 10 तोला दूल्हे के लिए तय किया था। लेकिन शादी के तुरंत बाद 100 तोला सोने की मांग की गई और जब दुल्हन का परिवार इसे पूरा नहीं कर सका, तो मानसिक प्रताड़ना दी गई।
प्रोसिक्यूशन के अनुसार, शादी के रिसेप्शन के दिन दूल्हे ने समारोह में भाग लेने से इनकार कर दिया और कहा कि वह तभी शामिल होगा जब 100 तोला सोना दिया जाएगा। कई गवाहों, जिनमें दुल्हन के परिवार के सदस्य और फोटोग्राफर शामिल थे, ने पुष्टि की कि दूल्हा और उसका परिवार शादी समारोह के दौरान बिल्कुल सहयोगी नहीं था।
दोषसिद्धि और सजा का विवरण
- 22 दिसंबर 2016 – सैदापेट मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने वेंकटेश्वरन को धारा 498A IPC और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत दोषी ठहराया और तीन साल की सजा सुनाई।
- 27 जून 2017 – XV अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने IPC धारा 406 के तहत सजा हटा दी लेकिन 498A IPC और धारा 4 DP एक्ट की सजा को बरकरार रखा।
- 21 जून 2022 – मद्रास हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए सजा को दो साल (498A IPC) और एक साल (धारा 4 DP एक्ट) तक घटा दिया।
- 24 जनवरी 2025 – सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि को बरकरार रखा लेकिन सजा को पहले से भुगती गई अवधि तक सीमित कर दिया और ₹3 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया।
दहेज उत्पीड़न पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने स्पष्ट रूप से अवैध दहेज मांग की थी और मानसिक प्रताड़ना दी थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा:
“आरोपी ने पीड़िता को 100 तोला सोने की मांग पूरी करने के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो उसे और उसके परिवार को अपमानित किया गया।”
हालाँकि, यह देखते हुए कि दोनों पक्ष अब आगे बढ़ चुके हैं और पीड़िता अब विदेश में शादीशुदा जीवन जी रही है, कोर्ट ने फैसला दिया कि आरोपी को जेल भेजने के बजाय ₹3 लाख का मुआवजा देना अधिक उचित होगा।
कोर्ट के अंतिम निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को चार सप्ताह के भीतर ₹3 लाख की राशि सैदापेट ट्रायल कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया ताकि यह राशि पीड़िता को मुआवजे के रूप में दी जा सके। यदि आरोपी इस राशि का भुगतान नहीं करता है, तो उसे अपनी पूरी सजा भुगतनी होगी।