उड़ीसा हाई कोर्ट ने सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह बताने का निर्देश दिया कि अप्रैल 2017 में आश्वासन देने के बावजूद कि काम चार महीने में पूरा हो जाएगा, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में ‘नटमंडप’ की मरम्मत क्यों पूरी नहीं हुई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बीआर सारंगी और न्यायमूर्ति मुराहरि श्री रमन की खंडपीठ ने एएसआई को सुनवाई की अगली तारीख 8 नवंबर तक अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा, “यह अफसोस की बात है कि इस अदालत द्वारा वर्ष 2017 में दिए गए निर्देशों के बावजूद, आज तक ‘नटमंडप’ की मरम्मत का काम पूरा नहीं हुआ है।”
अदालत ने एएसआई के इस दावे को मानने से इनकार कर दिया कि मरम्मत का काम आईआईटी-मद्रास को सौंपा गया था और देरी संस्थान की वजह से हुई थी।
इसमें कहा गया, ”इस प्रक्रिया में पांच साल बीत चुके हैं और इसलिए, यह अदालत इस मामले को गंभीरता से लेती है।”
पुरी स्थित कार्यकर्ता अभिषेक दास द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान, एएसआई ने अप्रैल 2017 में अदालत को आश्वासन दिया था कि ‘नटमंडप’ या डांस हॉल की मरम्मत का काम चार महीने के भीतर पूरा हो जाएगा।
एमिकस क्यूरी एनके मोहंती ने भी अदालत को अपनी स्थिति रिपोर्ट में संकेत दिया है कि एएसआई और आईआईटी-मद्रास की निष्क्रियता के कारण मरम्मत कार्य आगे नहीं बढ़ रहा है।