कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए विवादित बयान को लेकर दर्ज एफआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मंत्री विजय शाह

मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए विवादित बयान के चलते उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। यह एफआईआर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई थी।

हाईकोर्ट ने स्वतः लिया था संज्ञान

मामला उस समय तूल पकड़ गया जब मंत्री विजय शाह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सेना की प्रवक्ता के रूप में कार्य कर रहीं कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर एक सार्वजनिक सभा में आपत्तिजनक बयान दिया। इस बयान पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मंत्री की भाषा को “नाली स्तर की” बताया और राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को आदेश दिया कि वे चार घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज करें।

READ ALSO  SBI Complies with Supreme Court Directive, Submits Electoral Bonds Data to Election Commission

एफआईआर में लगीं भारतीय न्याय संहिता की गंभीर धाराएं

हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद 14 मई की शाम इंदौर जिले के महू तहसील स्थित मानपुर थाने में विजय शाह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) की निम्न धाराओं के तहत दर्ज की गई:

Video thumbnail
  • धारा 152: देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालना
  • धारा 196(1)(बी): विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना
  • धारा 197(1)(सी): धर्म, भाषा या समुदाय के आधार पर सौहार्द बिगाड़ने वाला बयान देना
READ ALSO  आयु के निर्धारण के लिए जेजे अधिनियम की धारा 9 और 94 के तहत प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में मंत्री ने दी सफाई

सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में मंत्री विजय शाह ने कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और इसे गलत संदर्भ में लिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि वह पहले ही सार्वजनिक रूप से अपने बयान पर माफी मांग चुके हैं और इस मामले में इतनी कठोर आपराधिक कार्रवाई की आवश्यकता नहीं थी। उनके वकील शीर्ष अदालत से इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई की मांग करेंगे।

मामला और बढ़ा विरोध

विजय शाह का यह बयान उस समय आया था जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सेना द्वारा आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा था। इस दौरान उन्होंने कथित तौर पर कर्नल कुरैशी को आतंकवादियों के समुदाय की बहन बताते हुए एक अपमानजनक टिप्पणी की, जिससे व्यापक स्तर पर आलोचना हुई और अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा।

READ ALSO  इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकारी वकीलों की नियुक्ति को चुनौती देते हुए PIL दायर- सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध नियुक्ति का है आरोप

अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट मंत्री की याचिका पर क्या रुख अपनाता है, क्योंकि मामला ना केवल भाषाई मर्यादा से जुड़ा है बल्कि संवैधानिक पदधारियों की जवाबदेही और सेना के सम्मान से भी जुड़ा हुआ है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles