उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बनभूलपुरा दंगे में शामिल व्यक्तियों की जमानत याचिकाओं के संबंध में अपनी आपत्तियां प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह एक हिंसक घटना है जिसने 8 फरवरी, 2024 को हल्द्वानी को हिलाकर रख दिया था। यह निर्देश कथित दंगा मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक के बेटे अब्दुल मोईद की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान जारी किया गया।
एक खंडपीठ के न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित कार्यवाही की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने राज्य को मोईद की याचिका पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है, जिसमें दंगा स्थल से उसकी अनुपस्थिति का दावा करने वाला एक पूरक हलफनामा भी शामिल है। यह घटनाक्रम तब हुआ है जब न्यायालय ने मलिक को जमानत देने से पहले उसे जिला न्यायालय जाने का निर्देश दिया था।
यह दंगा सरकारी संपत्ति पर अवैध रूप से निर्मित मदरसा और उससे सटे प्रार्थना स्थल को ध्वस्त करने के बाद भड़क उठा था। इसके बाद हुई अराजकता में एक पुलिस स्टेशन और कई वाहनों को आग लगाने सहित काफी नुकसान हुआ। छह लोगों की जान चली गई और पुलिस अधिकारियों और पत्रकारों सहित करीब सौ लोग घायल हो गए।

अब्दुल मोईद पर अपने पिता और अन्य लोगों के साथ मिलकर सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम देने का आरोप है। हाल ही में कोर्ट में एक अन्य आरोपी अब्दुल चौधरी की जमानत याचिका पर भी चर्चा हुई। कोर्ट ने दंगा स्थल पर सभी आरोपियों की मौजूदगी का ब्यौरा देने वाली चार्जशीट की जरूरत पर जोर दिया।