उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले में सोपस्टोन खनन के प्रभावों पर आगे की जांच के लिए 10 मार्च को सुनवाई निर्धारित की है, जिसने कथित तौर पर स्थानीय गांवों को काफी नुकसान पहुंचाया है। यह निर्णय एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर प्रारंभिक सत्र के बाद लिया गया है, जिसमें क्षेत्र में घरों में दरारें आने और कृषि भूमि के विनाश को संबोधित किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा के नेतृत्व में न्यायालय ने इस मुद्दे का स्वतः संज्ञान लिया है। उन्होंने राज्य सरकार को खनन कार्यों के बारे में विवरण प्रस्तुत करने और निवासियों द्वारा बताए गए प्रतिकूल प्रभावों के दावों को सत्यापित करने का निर्देश दिया है।
यह चिंता शुरू में कांडा तहसील के ग्रामीणों द्वारा एक हार्दिक पत्र के माध्यम से न्यायालय के ध्यान में लाई गई थी। उन्होंने अनधिकृत सोपस्टोन निष्कर्षण गतिविधियों के कारण घरों और पानी की लाइनों के विनाश सहित अपने दैनिक जीवन में गंभीर व्यवधानों की सूचना दी। पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि साधन संपन्न लोग तो चले गए, लेकिन कम भाग्यशाली लोग वहीं रह गए और पर्यावरण क्षरण का दंश झेल रहे हैं।

हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान बागेश्वर के पुलिस अधीक्षक और जांच समिति के अध्यक्ष अनिल कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया। उन्होंने अदालत को बताया कि 72 उत्खनन स्थलों का निरीक्षण किया गया है, जिनमें से 55 के निष्कर्ष न्यायिक समीक्षा के लिए पहले ही प्रस्तुत किए जा चुके हैं।