लाइसेंस न होने के बावजूद संजय गांधी अस्पताल में सर्जरी की जा रही थी: यूपी सरकार ने हाई कोर्ट से कहा

उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया कि अमेठी के संजय गांधी अस्पताल में सर्जरी की जा रही थी, जबकि उसके पास ऐसा करने का लाइसेंस नहीं था।

हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इस महीने की शुरुआत में एक मरीज की मौत के बाद उसके लाइसेंस के निलंबन को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की पीठ ने मरीज की मौत की जांच का विवरण मांगा।

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संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस 17 सितंबर को निलंबित कर दिया गया था और 14 सितंबर को एक छोटे से ऑपरेशन के लिए वहां भर्ती एक महिला की मृत्यु हो जाने के बाद सुविधा को सील कर दिया गया था। उसके पति ने आरोप लगाया है कि एनेस्थीसिया की अधिक मात्रा के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

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सुनवाई के दौरान, सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि अस्पताल के पास ऐसा करने का लाइसेंस नहीं होने के बावजूद अस्पताल में सर्जरी की जा रही थी।

अदालत ने सरकारी वकील से कहा कि वह राज्य से निर्देश लें कि मरीज की मौत की जांच कब पूरी होगी।

राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता राहुल शुक्ला ने पक्ष रखा।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को तय की है।

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इस बीच, कांग्रेस नेता दीपक सिंह और संजय गांधी अस्पताल के कर्मचारियों ने अस्पताल के लाइसेंस के निलंबन के खिलाफ अमेठी में अलग-अलग धरना दिया।

जहां 400 से अधिक कर्मचारियों ने मंगलवार को अस्पताल के गेट पर अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू किया, वहीं सिंह ने सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय पर एक और धरना शुरू किया।

इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता को समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी से समर्थन मिला है।

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