अगरतला-त्रिपुरा हाई कोर्ट चिकित्सीय लापरवाही के कारण अधिवक्ता (Advocate) की मौत के मामले में राज्य सरकार को पीड़ित परिजनों को 10 लाख रुपए देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश के तहत राज्य सरकार को मृतक वकील की माँ को यह रकम देने का निर्देश दिया है।
त्रिपुरा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ए ए कुरैशी और जस्टिस एसजी चटोपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पेश हुए पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता पुलक साहा ने बताया कि
“अदालत ने मृतक अधिवक्ता भास्कर देबरॉय (जिसकी सात मार्च 2020 को मौत हो गई थी) उसकी माँ को राशि के भुगतान के साथ याचिका दायर करने का अधिकार प्रदान किया है। यदि मृतक की माँ तय राशि को पर्याप्त नही पाती है तो वह याचिका को दायर कर सकती है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह केवल एक अंतरिम राहत है। अभी इस मामले में कई अन्य पहलू हैं। जिन पर कोर्ट में बाद में होने वाली सुनवाई में फैसला होना है।
उन्होंने आरोप लगाया की उनके पुत्र को दमकल विभाग के अधिकारियों द्वारा देर रात मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ट्रामा सेंटर ले जाया गया। लेकिन वहाँ पर कोई भी डॉक्टर उपचार के लिए नही आया।
प्राथमिक उपचार समय से न मिलने के कारण अगली सुबह उसकी मौत हो गई। आरोप यह भी है कि पुलिस समेत अन्य लोगों की मौजूदगी में यह लापरवाही बरती गई।
हमने कोर्ट को इस तथ्य से अवगत कराने के लिए अपने तर्कों को पहले ही स्पष्ट किया है की घोर चिकित्सा लापरवाही के कारण उसकी मौत हुई है।
दायर याचिका में उल्लेख है कि” राज्य सरकार ने इस मामले के संबंध में एक जांच टीम गठित की थी।जिसकी रिपोर्ट में भी चिकित्सा लापरवाही के दावों का समर्थन किया गया।
मेडिकल टीम ने जांच के दौरान 15 से अधिक मेडिकल स्टाफ और दो डॉक्टरों के बयान दर्ज किए थे और उन्हें मृतक को समय पर सेवाएं न देने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।
इसके साथ ही जांच टीम ने दो डॉक्टरों को ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने के लिए निलंबित करने का भी प्रस्ताव दिया था जो कोर्ट में विचाराधीन है।
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