तेलंगाना-राज्य के हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस राघवेन्द्र सिंह चौहान के विदाई सामरोह में पूरे कोर्ट ने ससम्मान विदाई दी। अभी जल्द में उन्हें उत्तराखंड हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया है।
जस्टिस चौहान ने अपने विदाई भाषण में कहा कि” अधिवक्ता को जासूस की तरह जिज्ञासु, किसान की तरह दृढ़ और सर्जन की तरह सटीक होना चाहिए।”
आगे कहा कि” कानून बिरादरी में हमे भारत के संविधान द्वारा निर्धारित मार्ग पर चलना चाहिए ।संवैधानिक मार्ग को छोड़कर अराजकता के मार्ग पर चलना जैसे जंगल राज में प्रवेश करने जैसा है।
चीफ जस्टिस चौहान ने आगे अपने भाषण में कहा कि” हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य है कमजोरों को ताकतवर के खिलाफ मजबूत बनाना, छोटी मछलियों की बड़ी मछलियों से रक्षा करना जिसके लिए हमे राज्य की शक्ति के समक्ष नागरिक को एक कवच प्रदान करना होगा। हमे कानून और लोकतंत्र की रक्षा करनी होगी और उसे बढ़ावा देना होगा।
आपको बता दें कि तेलांगना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस राघवेन्द्र सिंह चौहान कई अहम फैसलों के हिस्सा रहे हैं। जिसमे धोखाधड़ी कर आरबीआई मास्टर परिपत्र में प्राकतिक न्याय के सिद्धांतों को पढ़ने का फैसला सरकार को हेरीटेज बिल्डिंग इरम मंजिल को ध्वस्त करने से रोकना, नए सचिवालय भवन के लिए फैसले की पुष्टि करना आदि शामिल है।
Read Also
जस्टिस चौहान ने अपने भाषण के प्रमुख अंशों में कहा की विदाई वास्तव में विनम्र अनुभव है। यह इलहाम का क्षण है। जब हमे पता चलता कि हमारा अस्तित्व बहुत ही मामूली है। जब तक आप जान पाते हैं तब तक विदा होने का वक्त आ जाता है। मैं निश्चित रूप से अपनी प्रशंसा के लिए विद्वान भाई और विद्वान महाधिवक्ता का आभारी हूँ।
प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक प्लेटो ने अपनी पुस्तक द रिपब्लिक में कहा है की लोकतांत्रिक अंततः अराजकता में बदल जाता है। हमे उन्हें गलत साबित करना चाहिये। हम एक राष्ट्र के रूप में समृद्ध और जीवित हैं। यदि हम भारत के संविधान के सपने को साकार करते हैं। अन्यथा हम भी ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएंगे।