सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अनुरोध किया कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में होने वाले ‘धर्म संसद’ कार्यक्रम के खिलाफ याचिका दायर करने वाले पूर्व नौकरशाह और सामाजिक कार्यकर्ता तत्काल सुनवाई के लिए ईमेल भेजें। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इस कार्यक्रम में “मुसलमानों के नरसंहार” का आह्वान किया जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति संजय कुमार के साथ मिलकर वकील प्रशांत भूषण द्वारा प्रस्तुत याचिका पर सुनवाई की। भूषण ने मंगलवार को कार्यक्रम की शुरुआत के कारण इसकी तत्काल सुनवाई पर जोर दिया। जवाब में मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने सलाह दी, “मैं विचार करूंगा। कृपया ईमेल भेजें।”
यति नरसिंहानंद फाउंडेशन द्वारा आयोजित विवादास्पद ‘धर्म संसद’ गाजियाबाद के डासना में शिव-शक्ति मंदिर परिसर में मंगलवार से शनिवार तक होने वाली है। इस सभा ने महत्वपूर्ण जांच और आलोचना को आकर्षित किया है, जो पिछले आयोजनों के समान है, जिन्होंने कथित घृणास्पद भाषणों पर इसी तरह आक्रोश पैदा किया है।
कार्यकर्ता अरुणा रॉय और सेवानिवृत्त नौकरशाह अशोक कुमार शर्मा, देब मुखर्जी और नवरेखा शर्मा जैसी जानी-मानी हस्तियों द्वारा दायर याचिका में गाजियाबाद जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश पुलिस पर अवमानना का आरोप लगाया गया है। उनका कहना है कि इन अधिकारियों ने सांप्रदायिक गतिविधियों और नफ़रत भरे भाषणों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की है।