सुप्रीम कोर्ट ने 2016 के सुरजागढ़ खदान आगजनी मामले के संबंध में अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग की जमानत पर सुनवाई जनवरी के दूसरे सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है। यह निर्णय बुधवार को एक सत्र के दौरान आया, जिसमें न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और अरविंद कुमार की पीठ ने महाराष्ट्र राज्य से प्राप्त जवाबों की समीक्षा करने के लिए गाडलिंग के वकील को अतिरिक्त समय दिया।
यह मामला 2016 की एक घटना से जुड़ा है, जिसमें माओवादी विद्रोहियों ने खनन कार्यों के विरोध में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सुरजागढ़ लौह अयस्क खदानों में कथित तौर पर 76 वाहनों को आग लगा दी थी। पेशे से अधिवक्ता गाडलिंग पर माओवादियों को गुप्त सरकारी जानकारी और नक्शे उपलब्ध कराकर उनकी सहायता करने और खनन गतिविधियों के लिए स्थानीय विरोध को बढ़ावा देने का आरोप है।
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने इससे पहले 31 जनवरी, 2023 को गडलिंग को जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसमें उनके खिलाफ आरोपों की गंभीरता और प्रथम दृष्टया सत्यता का हवाला दिया गया था। उन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप हैं।
गडलिंग के लिए यह कानूनी परीक्षा एल्गर परिषद-माओवादी संबंध मामले में उनकी संलिप्तता के आरोपों से भी जुड़ी है। यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गर परिषद के कार्यक्रम में दिए गए भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसने कथित तौर पर अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक पर हिंसा भड़का दी थी।