सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चंडीगढ़ के पत्रकार और यूट्यूबर अजय शुक्ला के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्यवाही शुरू की है। शुक्ला पर अपने यूट्यूब चैनल पर कुछ शीर्ष न्यायाधीशों के खिलाफ “अपमानजनक, मानहानिकारक और अवमाननापूर्ण” टिप्पणियां करने का आरोप है।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुरकर की पीठ ने निर्देश दिया कि संबंधित वीडियो को तत्काल हटाया जाए और चैनल को ऐसा कोई और वीडियो प्रकाशित करने से रोका जाए।
अदालत ने शुक्ला, जो ‘वरप्रद मीडिया’ चैनल के संपादक भी हैं, को नोटिस जारी किया और उनके यूट्यूब चैनल को भी मामले में पक्षकार बनाया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “शुक्ला ने वीडियो में इस अदालत के कुछ वरिष्ठ न्यायाधीशों के खिलाफ घोर आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं। यूट्यूब पर इस तरह की बातें प्रसारित होना न्यायपालिका जैसी प्रतिष्ठित संस्था की साख को ठेस पहुंचा सकता है।”
अदालत ने स्पष्ट किया कि संविधान द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन यह अधिकार सीमित नहीं है। “इस अधिकार का प्रयोग करते हुए अदालत के न्यायाधीशों के खिलाफ मानहानिक और अवमाननापूर्ण आरोप नहीं लगाए जा सकते। ऐसे बयान न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं,” पीठ ने कहा।
कोर्ट ने आदेश दिया कि रजिस्ट्री इस मामले को स्वत: संज्ञान द्वारा दर्ज करे और अजय शुक्ला को प्रतिवादी के रूप में नामित करे। साथ ही अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को अदालत की सहायता के लिए आमंत्रित किया गया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वीडियो में की गई टिप्पणियों को “अत्यंत गंभीर” बताते हुए कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेने पर आभार जताया।
गौरतलब है कि अजय शुक्ला ने हाल ही में एक वीडियो में सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी सहित कुछ न्यायाधीशों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं।
अब यह मामला आधिकारिक रूप से अदालत की अवमानना की कार्यवाही के रूप में आगे बढ़ेगा।