सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मेघालय सरकार को “आखिरी मौका” देते हुए चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें राज्य में खासी हिल्स क्षेत्र में कथित अवैध खनन रोकने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण हो।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजरिया की पीठ को अमिकस क्यूरी के रूप में सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेेश्वर ने बताया कि प्रतिबंधों के बावजूद संरक्षित वन क्षेत्रों में “बड़े पैमाने” पर खनन हो रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) ने स्थल निरीक्षण के दौरान अवैध खनन गतिविधियां देखीं, लेकिन राज्य से इस संबंध में कोई औपचारिक जवाब नहीं मिला।
असम पक्ष के वकील ने दलील दी कि मेघालय में हो रहे अवैध खनन के कारण राज्य में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिससे नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

मेघालय सरकार के वकील ने कहा कि CEC ने 18 जुलाई को स्थल निरीक्षण किया और प्रश्नावली सौंपी, जिसका राज्य ने उत्तर दे दिया है। हालांकि, पीठ ने टिप्पणी की कि CEC को यह जवाब प्राप्त नहीं हुआ।
राज्य के वकील ने यह भी तर्क दिया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) इस मुद्दे पर पहले ही विस्तृत आदेश दे चुका है और अवैध खनन पूरी तरह बंद है, केवल कानूनी खनन की अनुमति है।
मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी।