कोई सामान्य व्यक्ति यह कल्पना नहीं कर सकता था कि डांटने से आत्महत्या हो जाएगी: सुप्रीम कोर्ट ने छात्र की मौत के मामले में स्कूल कॉरेस्पोंडेंट को किया आरोपमुक्त

सुप्रीम कोर्ट ने छात्र की आत्महत्या के मामले में स्कूल कॉरेस्पोंडेंट थंगवेल को आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत दर्ज आपराधिक आरोपों से आरोपमुक्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि “कोई सामान्य व्यक्ति यह कल्पना नहीं कर सकता था कि एक डांट से छात्र आत्महत्या कर लेगा।”

न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने क्रिमिनल अपील संख्या ___ ऑफ 2025 (@ एसएलपी (क्रि.) संख्या 9099/2024) में यह फैसला सुनाया और मद्रास हाईकोर्ट द्वारा 14 जून 2024 को क्रि.आर.सी. संख्या 682/2024 में पारित आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें आरोपी को आरोपमुक्त करने की अर्जी खारिज कर दी गई थी।

मामला

यह मामला वर्ष 2014 में दर्ज एफआईआर संख्या 01/2014 से जुड़ा है, जो कि सीबी-सीआईडी द्वारा दर्ज की गई थी। आरोपी थंगवेल स्कूल और हॉस्टल के प्रबंधन में बतौर कॉरेस्पोंडेंट कार्यरत थे। एक छात्र द्वारा मृतक छात्र के खिलाफ शिकायत किए जाने के बाद, थंगवेल ने मृतक को डांटा था। इसके बाद छात्र ने खुद को कमरे में बंद कर लिया और नायलॉन की रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

इस घटना के आधार पर उनके विरुद्ध आईपीसी की धारा 306 के अंतर्गत आरोप तय किए गए थे। हाईकोर्ट में इस आरोप को चुनौती दी गई थी, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था।

पक्षकारों की दलीलें

अपीलकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने तर्क दिया कि यह डांटना व्यक्तिगत नहीं था, बल्कि छात्रावास में अनुशासन बनाए रखने के लिए एक वैध प्रतिक्रिया थी। उन्होंने कहा कि यह कार्यवाही एक संरक्षक की तरह की गई और इसका उद्देश्य छात्र को भविष्य में अनुशासनहीनता से रोकना था। उन्होंने यह भी कहा:

READ ALSO  चैंबर में हत्या के मामले में पुलिस ने वकील सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया

“अपीलकर्ता यह सोच भी नहीं सकता था कि ऐसी डांट से छात्र आत्महत्या जैसा कदम उठा लेगा।”

राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने स्वीकार किया कि आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप तय किए जाने के लिए कोई ठोस आधार प्रतीत नहीं होता।

हालांकि नोटिस दिए जाने के बावजूद मृतक छात्र के पिता और शिकायतकर्ता (प्रत्यर्थी संख्या 2) न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सभी तथ्यों और दलीलों पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा:

“कोई सामान्य व्यक्ति यह कल्पना नहीं कर सकता था कि एक डांट, वह भी छात्र की शिकायत के आधार पर की गई, इतनी बड़ी त्रासदी का कारण बन जाएगी।”

कोर्ट ने यह भी कहा:

“ऐसी डांट एक कॉरेस्पोंडेंट द्वारा की जाने वाली न्यूनतम कार्रवाई थी, जिससे शिकायत पर ध्यान दिया जा सके और उचित कदम उठाए जा सकें।”

कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि इस स्थिति में आरोपी के विरुद्ध mens rea (अपराधिक मंशा) स्थापित नहीं होती और आत्महत्या के लिए उकसावे का आरोप टिक नहीं सकता।

READ ALSO  दूसरे मुल्क में रहने वाले जोड़े को केरल हाई कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शादी के रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी

फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप तय करने का आदेश रद्द कर दिया और थंगवेल को उक्त मामले से आरोपमुक्त कर दिया।


मामला शीर्षक: थंगवेल बनाम द स्टेट, थ्रू इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस एवं अन्य
मामला संख्या: क्रिमिनल अपील संख्या ___ ऑफ 2025 (@ एसएलपी (क्रि.) संख्या 9099/2024)

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles