एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और उत्तर प्रदेश सरकार ने निठारी हत्याकांड में सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई और यूपी सरकार द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति जताई।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाओं के संबंध में कोली से जवाब मांगते हुए नोटिस जारी किए और निर्देश दिया कि इन याचिकाओं को मामले से संबंधित अन्य लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 16 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर कई याचिकाओं के संबंध में कोली से पहले जवाब मांगा था। मई में, सुप्रीम कोर्ट ने कोली को बरी किए जाने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एक पीड़ित के पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली की मृत्युदंड की सजा को पलट दिया था, जिसे 28 सितंबर, 2010 को निचली अदालत ने सुनाया था। हाईकोर्ट ने मोनिंदर सिंह पंढेर को भी बरी कर दिया, जिसे सत्र न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया कि अभियोजन पक्ष दोनों आरोपियों के अपराध को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है, और जांच की आलोचना जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात के रूप में की गई है।
निठारी हत्याकांड में नोएडा के निठारी में हुई हत्याओं और यौन हमलों की एक श्रृंखला शामिल है, जहाँ कई पीड़ितों, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे, के अवशेष मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली के आवास के पास पाए गए थे। अपराधों की भीषण प्रकृति और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कथित विफलता के कारण इस मामले ने व्यापक मीडिया का ध्यान आकर्षित किया था।
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सीबीआई और यूपी सरकार द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की सहमति निठारी मामले की चल रही कानूनी कार्यवाही में एक महत्वपूर्ण कदम है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर सभी की निगाह रहेगी, क्योंकि इसमें मामले की जांच और अभियोजन से जुड़ी जटिलताओं और विवादों पर विचार किया जाएगा।