सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व IAS प्रोबेशनर पूजा खेड़कर को अग्रिम ज़मानत दे दी। खेड़कर पर आरोप है कि उन्होंने UPSC की सिविल सेवा परीक्षा 2022 में OBC और दिव्यांग कोटा का लाभ गलत तरीके से उठाया और जानबूझकर जानकारी छिपाकर आरक्षण प्राप्त किया।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेड़कर को जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस मामले में गिरफ्तारी जैसी कठोर कार्रवाई उचित है।
“क्या उसने हत्या की है?” न्यायमूर्ति नागरत्ना ने मौखिक रूप से टिप्पणी की। “वह न तो ड्रग माफिया है, न ही आतंकवादी। उस पर 302 (हत्या) का आरोप नहीं है। वह NDPS अधिनियम की अपराधी भी नहीं है। आपके पास कोई सिस्टम या सॉफ्टवेयर होना चाहिए। आप जांच पूरी कीजिए। उसने सब कुछ खो दिया है, उसे कहीं नौकरी नहीं मिलने वाली।”

पीठ ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए “यह ऐसा मामला है जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट को ज़मानत देनी चाहिए थी।”
वहीं, दिल्ली पुलिस ने ज़मानत का विरोध करते हुए कहा कि पूजा खेड़कर जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं और उन पर लगे आरोप गंभीर हैं।
खेड़कर पर आरोप है कि उन्होंने UPSC परीक्षा में OBC और दिव्यांग आरक्षण के लिए झूठा दावा किया, जिससे उन्हें अतिरिक्त प्रयासों का लाभ मिला। UPSC ने इस संबंध में न केवल अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की, बल्कि उनके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज कराया। दिल्ली पुलिस ने भी कई धाराओं में FIR दर्ज की है।
हालांकि, खेड़कर ने सभी आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि उन्होंने कोई धोखाधड़ी नहीं की है।