केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य बाल अधिकार आयोग से रिपोर्ट तलब की है, जिसमें 2010 से 2023 के बीच पालक्काड ज़िले के सीमा क्षेत्र में हुई 28 बच्चों की “संदिग्ध मौतों” की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश नितिन जमदार और न्यायमूर्ति बसंत बालाजी की खंडपीठ ने आयोग को निर्देश दिया कि वह इस मामले पर अपनी रिपोर्ट 7 अक्टूबर तक दाखिल करे, जब अगली सुनवाई होगी।
सेंट ऑगस्टिन सिरो-मलाबार चर्च के विकार सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि 28 बच्चों की मौतें — जिन्हें अधिकतर फांसी लगाकर आत्महत्या बताया गया — वास्तव में संदिग्ध या हत्या हो सकती हैं।

याचिका में कहा गया कि इन मामलों की जांच को रहस्यमय कारणों से रोक दिया गया और पुलिस ने बिना गहराई से पड़ताल किए इन्हें आत्महत्या बताकर बंद कर दिया।
याचिका में आगे कहा गया:
“मृत बच्चे समाज के सबसे गरीब और हाशिए पर रहने वाले तबकों से आते थे। अशिक्षा और कानूनी अधिकारों की जानकारी न होने के कारण उनके परिवार पुलिस की निष्कर्षों को चुनौती नहीं दे सके और न्याय से वंचित रह गए।”
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से मांग की है कि राज्य सरकार और पुलिस को निर्देश दिए जाएं कि इन मौतों की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) गठित किया जाए और इसकी निगरानी न्यायालय स्वयं करे, ताकि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सके।
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बाल अधिकार आयोग से रिपोर्ट तलब की है। इस मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।