न्यायपालिका से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना में, सोमवार 7 अप्रैल 2025 को जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के रूप में शपथ ली। यह शपथग्रहण समारोह भारत की न्यायिक प्रणाली में उनके प्रतिष्ठित करियर की निरंतरता को चिह्नित करता है। दोनों जज अपने व्यापक अनुभव और विधिक समझ के साथ देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट में योगदान देंगे।
जस्टिस अरिंदम सिन्हा को पहली बार 30 अक्टूबर 2013 को कलकत्ता हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया था। इसके बाद 14 मार्च 2016 को उन्हें स्थायी जज के रूप में पुष्टि मिली। कलकत्ता हाईकोर्ट में कार्यकाल के बाद उनका तबादला ओडिशा हाईकोर्ट में हुआ, जहां उन्होंने 8 अक्टूबर 2021 को शपथ ली। उनकी नेतृत्व क्षमता को पहचानते हुए उन्हें 19 जनवरी से 25 मार्च 2025 तक कार्यवाहक मुख्य जज के रूप में नियुक्त किया गया था, जो बाद में मुख्य जज हरीश टंडन की नियुक्ति से पूर्व की अवधि थी।
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने जस्टिस सिन्हा की गहरी न्यायिक अंतर्दृष्टि और विशेषज्ञता को मान्यता देते हुए 20 मार्च 2025 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र सरकार ने 28 मार्च 2025 को मंजूरी दी। इसके पश्चात उन्होंने आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज के रूप में कार्यभार संभाला।

जस्टिस चंद्र धारी सिंह भी एक प्रभावशाली न्यायिक पृष्ठभूमि के धनी हैं। उन्हें 22 सितंबर 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया था और 6 सितंबर 2019 को स्थायी जज के रूप में पुष्टि मिली। बाद में उनका स्थानांतरण 11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट में किया गया। लेकिन नवंबर 2024 में भारत के मुख्य जज संजीव खन्ना की अध्यक्षता में कोलेजियम ने उन्हें फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में लाने की सिफारिश की। केंद्र सरकार ने 28 मार्च 2025 को इस स्थानांतरण को स्वीकृति दी।
जस्टिस सिन्हा और जस्टिस सिंह की नियुक्ति से इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायिक क्षमता और कार्यकुशलता को उल्लेखनीय बल मिलेगा। विभिन्न हाईकोर्टों में उनके अनुभव और विविध विधिक दृष्टिकोण उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में न्याय के मजबूत संचालन में सहायक सिद्ध होंगे।