भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित इन-हाउस समिति ने आज सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की घटना की जांच शुरू कर दी है। यह जांच उस आगजनी की घटना के बाद शुरू की गई है, जो न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर लगी थी और जिसके दौरान अनपेक्षित रूप से नकदी का पता चला।
तीन प्रतिष्ठित न्यायाधीशों वाली इस समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया, और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल हैं। समिति ने दोपहर करीब 1 बजे जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास का दौरा किया, जो लगभग 45 मिनट तक चला। यह दौरा जांच प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण माना जा रहा है।
यह मामला 14 मार्च की शाम को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना के बाद सामने आया, जब दमकल कर्मियों ने आग बुझाने के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की। आग लगने के समय जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी मध्य प्रदेश यात्रा पर थे, जबकि घर पर केवल उनकी बेटी और वृद्ध मां मौजूद थीं।

नकदी मिलने के बाद जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, जिनसे उन्होंने सख्ती से इनकार किया है। उनका कहना है कि यह पूरी साजिश उनकी छवि को धूमिल करने के लिए रची गई हो सकती है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 22 मार्च को इस समिति का गठन किया, ताकि घटना की परिस्थितियों की निष्पक्ष और गहन जांच हो सके। पारदर्शिता के उद्देश्य से, दिल्ली पुलिस आयुक्त द्वारा नकदी मिलने के क्षण का एक वीडियो न्यायपालिका के साथ साझा किया गया, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है। इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा का औपचारिक जवाब भी सार्वजनिक किया गया है।