झारखंड में कानून का शासन दम तोड़ चुका है: हाईकोर्ट ने निकाय चुनावों में आदेश की अवहेलना पर मुख्य सचिव को तलब किया

झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड में “संवैधानिक तंत्र का पूर्ण पतन” हो चुका है और सरकार “कानून के शासन का गला घोंट रही है”। अदालत ने नगरीय निकाय चुनावों से संबंधित आदेश का पालन न करने पर मुख्य सचिव अलका तिवारी को अवमानना के मामले में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति आनंद सेन की एकल पीठ ने यह आदेश पूर्व पार्षद रोशनी खलको की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। खलको ने अपनी याचिका में बताया कि हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद राज्य सरकार ने लंबे समय से लंबित निकाय चुनाव नहीं कराए हैं।

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हाईकोर्ट ने 4 जनवरी 2024 को राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर चुनाव संपन्न कराने का आदेश दिया था। इस आदेश का पालन न होने पर खलको ने 16 जनवरी 2024 को अवमानना याचिका दायर की। इसके बाद अदालत ने सरकार को चार महीने का और समय दिया था, लेकिन उसके बावजूद चुनाव नहीं कराए गए।

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न्यायालय ने अपनी तीखी टिप्पणी में कहा, “राज्य सरकार झारखंड में कानून के शासन का गला घोंट रही है और यहां संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है।”

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गौरतलब है कि राजधानी रांची समेत राज्य में आखिरी बार निकाय चुनाव अप्रैल 2018 में हुए थे, और पार्षदों का कार्यकाल 2023 में समाप्त हो गया। इसके बाद से चुनाव नहीं कराए गए हैं।

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