जयपुर मेट्रो की स्थाई लोक अदालत ने हेल्थ पॉलिसी होते हुए भी एडेनोकार्सिनोमा कैंसर की बीमारी के इलाज पर खर्च राशि देने से इनकार करने को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार देते हुए एचडीएफसी अरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी पर 22 हजार रुपये हर्जाना लगाया है। वहीं विपक्षी कंपनी को निर्देश दिए हैं कि वह बीमारी के इलाज पर खर्च हुए दस लाख रुपये परिवादी को क्लेम खारिज करने की तारीख 14 नवंबर 2019 से भुगतान तक 7 फीसदी वार्षिक ब्याज सहित दे। अदालत के अध्यक्ष हरविन्दर सिंह, सदस्य शंभू दयाल शर्मा व सीमा शार्दुल ने यह आदेश संजय चोपड़ा के परिवाद पर दिए।
स्थाई लोक अदालत ने दोनों पक्षों को सुनकर कहा कि परिवादी को 1991 से लेकर 1997 तक बीमारियां हुई थी और उनका इलाज होने पर वह स्वस्थ हो गया था। इसके बाद में उसने वर्ष 2011 से अतिरिक्त शुल्क देकर वर्ष 2020 तक लगातार हेल्थ पॉलिसी ली और तब वह बीमार नहीं था। वहीं मौजूदा बीमारी का पुरानी बीमारी से कोई संबंध नहीं है। ऐसे में इंश्योरेंस कंपनी परिवादी को इलाज पर खर्च हुई राशि देने से मना नहीं कर सकती।
परिवाद में कहा गया कि उसने विपक्षी कंपनी से लगातार रिन्यू कराने के बाद वर्ष 2019 से 2020 की अवधि के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी थी। इस दौरान उसे गले में निगलने में परेशानी हुई तो डॉक्टर्स को दिखाया। जांच में उसके एडेनोकार्सिनोमा ओएसोफैगस बीमारी होना पाया। उसने मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल सहित जयपुर के दुर्लभजी हॉस्पिटल में इलाज कराया और कैशलेस सुविधा देने के लिए कहा तो इंश्योरेंस कंपनी ने मना कर दिया। वहीं उसने इलाज पर खर्च हुई दस लाख रुपए की राशि मांगी तो इंश्योरेंस कंपनी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि उसे बीमारी पहले ही थी। इसे परिवादी ने स्थाई लोक अदालत में चुनौती दी। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बीमा कंपनी पर हर्जाना लगाते हुए इलाज में खर्च राशि लौटाने को कहा है।