केंद्र सरकार ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 (Industrial Relations Code, 2020) के तहत सभी लंबित और भावी मामलों की सुनवाई फिलहाल मौजूदा लेबर कोर्ट, औद्योगिक ट्रिब्यूनल और राष्ट्रीय औद्योगिक ट्रिब्यूनल ही करते रहेंगे, जब तक कि नए न्यायाधिकरणों का गठन नहीं हो जाता।
यह बयान मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ के समक्ष उस समय दिया गया जब अदालत ने इस बात पर चिंता जताई थी कि सरकार ने बिना आवश्यक नियम बनाए और बिना नए ट्रिब्यूनल गठित किए ही संहिता को लागू कर दिया।
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और स्थायी अधिवक्ता आशीष दीक्षित ने 8 दिसंबर की “रिमूवल ऑफ डिफिकल्टीज़” अधिसूचना का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यह अधिसूचना यह सुनिश्चित करने के लिए जारी की गई थी कि संहिता लागू होने के बाद विवाद निपटान की प्रक्रिया में कोई बाधा या कानूनी शून्य न उत्पन्न हो।
औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 चार श्रम संहिताओं में से एक है, जो 29 पुराने श्रम कानूनों को समाहित करती है। यह संहिता औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 और ट्रेड यूनियंस अधिनियम, 1926 की जगह लागू हुई है और एक नए प्रकार के औद्योगिक न्यायाधिकरण के गठन की व्यवस्था करती है। संहिता की धारा 51 यह भी कहती है कि नए न्यायाधिकरण बनने पर लंबित मामले वहीं स्थानांतरित किए जाएंगे।
यह स्पष्टीकरण उन वकीलों की याचिका के जवाब में दिया गया, जिनमें एन.ए. सेबास्टियन भी शामिल हैं। उनका कहना था कि सरकार ने संहिता तो लागू कर दी, लेकिन उन नियमों को ही अधिसूचित नहीं किया जिनके आधार पर नए ट्रिब्यूनल गठित होने थे या उनके सदस्यों की योग्यता और शर्तें तय होनी थीं।
वकीलों ने इसे “न्यायिक ढांचे को पंगु बनाने वाला कदम” बताया और कहा कि पुराने कानूनों का स्पष्ट रूप से निरसन भी अधिसूचित नहीं किया गया है, जिसके कारण संक्रमणकाल में भारी अस्पष्टता पैदा हो रही है।
हाईकोर्ट ने भी पिछले सप्ताह इस बात पर नाराज़गी जताई थी कि सरकार ने नियम बनाए बिना संहिता को लागू कर दिया और उसे आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया था।
केंद्र के आश्वासन को दर्ज करते हुए अदालत ने कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार पुराने से नए श्रम कानून ढांचे में संक्रमण को सुचारू बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।
अदालत ने कहा, “हम शर्मा द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हैं और यह विश्वास व्यक्त करते हैं कि सरकार पुराने से नए श्रम कानून ढांचे में सुचारू संक्रमण सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सभी कदम उठाएगी। मामले को 12 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।”
अब सरकार को अगली सुनवाई तक यह दिखाना होगा कि वह नए औद्योगिक न्यायाधिकरणों के गठन और संबंधित नियमों के अधिसूचन में क्या प्रगति कर रही है।

