बॉम्बे हाईकोर्ट ने IIT बॉम्बे की ज़मीन पर कथित अतिक्रमण को लेकर सर्वे का आदेश दिया

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई उपनगर ज़िले के कलेक्टर को पवई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे की ज़मीन पर कथित अतिक्रमण की शिकायतों के मद्देनज़र विस्तृत सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कई ठेकेदारों ने अवैध रूप से ज़मीन पर कब्जा कर लिया है और डराने-धमकाने की रणनीति अपनाकर धोखाधड़ी से जमीन के सौदे कर रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और न्यायमूर्ति मकरंद कर्णिक की खंडपीठ ने यह आदेश शब्बीर शेख द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में कहा गया कि तीन ठेकेदारों ने IIT बॉम्बे की सीमा से सटी ज़मीन पर अवैध कब्जा कर झुग्गीनुमा ढांचे खड़े किए हैं और वहां रहने वाले लोगों से जबरन वसूली कर रहे हैं।

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कोर्ट ने कलेक्टर को यह सर्वेक्षण IIT बॉम्बे और कथित अतिक्रमणकारियों—दोनों को अपने-अपने दावों के समर्थन में दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का अवसर देने के बाद करने का आदेश दिया। यदि अतिक्रमण के आरोप सही पाए जाते हैं, तो कोर्ट ने अवैध ढांचों को “कानून के अनुसार” हटाने का निर्देश दिया।

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सरकारी वकील नेहा भिडे ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान कलेक्टर को आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

याचिका में संगठित ज़मीन कब्ज़ा गिरोहों की बढ़ती गतिविधियों पर चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि ‘बाहुबलियों’ द्वारा स्थानीय निवासियों को डराया जा रहा है और फर्जी हाउसिंग सोसायटी बनाकर अतिक्रमित भूमि के नाम पर धोखाधड़ी से रियल एस्टेट सौदे किए जा रहे हैं, जिससे काले धन का जमाव हो रहा है।

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याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण नागरिकों में यह धारणा बन गई है कि नगर नियोजन और नगरपालिका के नियम-कानून केवल चुनिंदा मामलों में ही लागू होते हैं। याचिका में कहा गया, “झुग्गियों में रह रही पूरी बस्ती ऐसे ज़मीन माफियाओं के डर के साये में जी रही है,” और त्वरित न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई।

कोर्ट ने कलेक्टर की रिपोर्ट के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की है, लेकिन यह स्पष्ट किया कि आगे की कार्रवाई सर्वेक्षण रिपोर्ट के निष्कर्षों पर आधारित होगी।

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