कल एक मामला Allahabad High Court के सामने आया, जिसमें Allahabad High Court के एक पूर्व न्यायाधीश ने अपने बेटे द्वारा उन्हे और उनकी पत्नी को घर से बेदखल करने के संबंध में राहत मॉंगी है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही मामले में बेटों को खूब लताड़ लगायी है, क्यूँकि उन्होंने अपने पिता का भरण पोषण बंद कर दिया था। पूरी स्टोरी के लिए यह क्लिक करे
माननीय न्यायमूर्ति अंजनी कुमार (सेवानिवृत्त) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में 24.04.2001 से 13.09.2008 तक कार्य किया है।
माननीय न्यायमूर्ति अंजनी कुमार (सेवानिवृत्त) ने अपनी पत्नी के साथ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर की है। इस याचिका में, उन्होंने अपने ही बेटे द्वारा घर से बेदखल करने के खिलाफ राहत मांगी है।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता सं 1 इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और याचिकाकर्ता सं २ उनकी पत्नी है। उन्होंने आगे प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता, जो वरिष्ठ नागरिक हैं, को अवैध रूप से उनके घर 27/13, जवाहर लाल नेहरू रोड, प्रयागराज से निकाल दिया गया है। ।
यह आगे प्रस्तुत किया गया कि अन्य संपत्तियों / घरों के अलावा, विवादित घर याचिकाकर्ताओं के नाम पर पंजीकृत है। याचिकाकर्ताओं द्वारा उनके बेटे (चंदन कुमार) के खिलाफ कई आरोप लगाए गए।
याचिकाकर्ताओं ने आगे कहा कि नगर निगम, प्रयागराज में उक्त घर उनके नाम से दर्ज है, इसलिए प्रतिवादी सं 5 को याचिकाकर्ताओं को बलपूर्वक बेदखल करने का कोई अधिकार नहीं है।
विपक्षी संख्या 5 (पुत्र) द्वारा एफिडेविट दाखिल कर उपरोक्त आरोपों का खंडन किया गया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा यह विवादित नहीं किया गया है कि उनकी शिकायतों के निवारण के लिए, उनके पास उत्तर प्रदेश रखरखाव और कल्याण और माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, 2007 और माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण 2014 के तहत एक उपाय है।
कोर्ट ने कहा कि यद्यपि विधानमंडल ने पूर्वाेक्त कानून बनाए हैं, लेकिन वहां पारित आदेशों के कार्यान्वयन के लिए कोई तंत्र उपलब्ध नहीं कराया गया है।
मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को उत्तर प्रदेश रखरखाव और कल्याण और वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, 2007 और उत्तर प्रदेश रखरखाव और कल्याण और माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के नियमों के तहत उचित आवेदन / याचिका दायर करने की अनुमति दी।
हाईकोर्ट ने याचीयों को आदेशित किया है कि जिला मजिस्ट्रेट प्रयागराज के समक्ष एक आवेदन/याचिका आदेश की तिथि से दस दिनों में प्रस्तुत करना होगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तरदाता संख्या 5 को 19.11.2020 को जिला मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने का निर्देश दिया है। तत्पश्चात, जिला मजिस्ट्रेट इस मामले पर आगे बढ़ेंगे और याचिकाकर्ताओं की सुनवाई और तर्क के बाद आदेश के अनुसार याचिकाकर्ताओं के उपरोक्त आवेदन / याचिका को कानून के अनुसार तय करेंगे।
डीएम द्वारा उक्त आवेदन या याचिका की प्राप्ति की तारीख से दो महीने के भीतर पार्टियों सभी को सुनने के बाद आदेश दिया जायेगा।
यदि याचिकाकर्ता जिला मजिस्ट्रेट के आदेश से क्षुब्ध महसूस करते हैं, तो उन्हें इसकी अनुमति होगी कि वे उसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दे सके।
अब इस मामले को अगले आदेशों के लिए 8.2.2021 पर सूचीबद्ध किया गया है।
Case Details:
Title: Justice Anjani Kumar And Another vs State of U.P. and Others
Case No.- Writ C No. 7677 of 2020
Coram: Hon’ble Justice Shashi Kant Gupta and Hon’ble Justice Pankaj Bhatia
Date of Order: 15.10.2020
Counsel for Petitioner:- Tarun Agrawal
Counsel for Respondent:- C.S.C.,Ankush Tandon