गुजरात हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी दोपहिया वाहन पर तीन लोगों का सवार होना अपने आप में यह साबित नहीं करता कि वाहन चालक लापरवाह था। अदालत ने कहा कि जब तक यह साबित न हो कि “ट्रिपलिंग” के कारण हादसा हुआ या चालक का वाहन पर नियंत्रण बिगड़ा, तब तक मृतक को सह-लापरवाही का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
न्यायमूर्ति हसमुख सुथार ने यह टिप्पणी उस मामले में की, जिसमें एक मोटरसाइकिल को पीछे से गुजरात राज्य परिवहन निगम की बस ने टक्कर मार दी थी। यह दुर्घटना 24 फरवरी 2019 को जूनागढ़ जिले में हुई थी। मोटरसाइकिल पर मयूर धूड़ा अपनी बहन सेजल बेन और भांजी भावना बेन के साथ जा रहे थे। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति घायल हुआ।
इस मामले में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) ने यह कहते हुए मृतक मयूर धूड़ा को 10 प्रतिशत सह-लापरवाही का दोषी माना था कि वह मोटरसाइकिल पर दो सवारी बैठाकर चला रहा था। मृतक के परिजनों ने इस निष्कर्ष को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट ने अधिकरण के फैसले को पलटते हुए कहा कि सह-लापरवाही का अनुमान केवल परिस्थितियों के आधार पर नहीं लगाया जा सकता। अदालत ने साफ किया कि सड़क दुर्घटना मात्र से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि दोपहिया वाहन चालक ही लापरवाह था।
अदालत ने कहा कि यदि यह साबित करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं है कि तीन सवारी होने के कारण चालक ने वाहन से नियंत्रण खोया या दुर्घटना में उसकी कोई भूमिका रही, तो उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में 10 प्रतिशत सह-लापरवाही तय करना एक स्पष्ट त्रुटि थी।
गुजरात राज्य परिवहन निगम की ओर से दिए गए तर्कों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने बस चालक को दुर्घटना के लिए पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया। इसके साथ ही अदालत ने मृतक के परिजनों को दी जाने वाली मुआवजा राशि को बढ़ाकर 12,51,720 रुपये से 14,93,900 रुपये कर दिया।
यह फैसला मोटर दुर्घटना मामलों में लापरवाही तय करने के मानकों को स्पष्ट करता है और यह संदेश देता है कि यातायात नियमों के उल्लंघन और दुर्घटना के बीच सीधा कारण संबंध साबित होना जरूरी है।

