दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) से लोकसभा सांसद शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद की याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने संसद के चल रहे मानसून सत्र में भाग लेने के लिए अंतरिम ज़मानत की मांग की है। वर्ष 2017 के एक टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद राशिद ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें संसद की कार्यवाही में पुलिस हिरासत में शामिल होने के लिए उनसे प्रतिदिन ₹1.44 लाख खर्च वहन करने को कहा गया था।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की खंडपीठ ने NIA को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई के लिए निर्धारित की है। इसी दिन कोर्ट राशिद की नियमित ज़मानत याचिका पर भी सुनवाई करेगी।
राशिद, जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हराया था, वर्ष 2019 से न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें गैरकानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (UAPA) के तहत NIA ने गिरफ्तार किया था और उन पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों को फंड करने का आरोप है। उनका नाम सह-आरोपी व्यापारी जहूर वटाली से पूछताछ के दौरान सामने आया था, जिसके बाद उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 121 (सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ना), 124ए (देशद्रोह) और UAPA की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए।

सुनवाई के दौरान राशिद के वकील ने दलील दी कि एक सांसद के रूप में संसद में अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निभाने के लिए वह अब तक लगभग ₹17 लाख की यात्रा और सुरक्षा लागत वहन कर चुके हैं। वकील ने यह भी कहा कि राशिद को इससे पहले भी संसद में भाग लेने की अनुमति दी गई थी और उन्हें बार-बार वित्तीय बोझ नहीं उठाना चाहिए।
ट्रायल कोर्ट ने 24 जुलाई से 4 अगस्त तक राशिद को पुलिस अभिरक्षा में संसद में शामिल होने की अनुमति दी थी, लेकिन शर्त यह रखी गई थी कि वह हर दिन की यात्रा की लागत स्वयं वहन करें। हाई कोर्ट में दायर याचिका में राशिद ने या तो अंतरिम ज़मानत या फिर हिरासत में पैरोल की मांग की है, जिसमें यात्रा व्यय सरकार द्वारा वहन किया जाए, ताकि वह एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के रूप में अपना संवैधानिक दायित्व निभा सकें।