टी पी चन्द्रशेखरन हत्या मामला: केरल हाई कोर्ट ने निचली अदालत के दोषसिद्धि के आदेश को बरकरार रखा

केरल हाई कोर्ट ने 2012 के टीपी चन्द्रशेखरन हत्या मामले में आरोपियों की सजा को सोमवार को बरकरार रखा।

इसने दोषियों की उस अपील को भी खारिज कर दिया, जिसमें निचली अदालत द्वारा उन्हें सजा सुनाए जाने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने 4 मई, 2012 को ओंचियाम में रिवोल्यूशनरी मार्क्सवादी पार्टी (आरएमपी) के नेता चंद्रशेखरन की हत्या से संबंधित मामले में दो आरोपियों को बरी करने और उन्हें आपराधिक साजिश के लिए दोषी ठहराए जाने के फैसले को रद्द कर दिया।

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हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले की पुष्टि की और अनूप, मनोज उर्फ किरमानी मनोज, एन के सुनील कुमार उर्फ कोडी सुनी, टी के राजेश, के के मुहम्मद शफी, एस सिजिथ, के शिनोज, के सी रामचंद्रन, मनोजन और कुन्हानंदन की सजा को बरकरार रखा। उन पर जो आरोप साबित हुए हैं.

अदालत ने यह भी कहा कि इन अपीलों के लंबित रहने के दौरान कुन्हानंदन की मृत्यु हो गई थी।

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अदालत दोषियों द्वारा उनकी दोषसिद्धि और सजा को रद्द करने की मांग करने वाली कई अपीलों पर विचार कर रही थी। इसने आरोपियों की सजा बढ़ाने की राज्य की अपील पर भी सुनवाई की। चन्द्रशेखरन की विधवा केके रेमा द्वारा एक और अपील दायर की गई थी, जिसमें एक आरोपी को दोषी ठहराने की मांग की गई थी, जिसे बरी कर दिया गया था।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, “हमने ए10 (केके कृष्णन) और ए12 (जियोथी बाबू) को बरी करने के फैसले को रद्द कर दिया है और उन्हें आईपीसी की धारा 302 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 120 बी के तहत दोषी ठहराया है। हम अन्य आरोपियों को बरी करने की पुष्टि करते हैं।”

कोझिकोड की ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में सीपीआई (एम) के जिला सचिव पी मोहनन सहित 24 आरोपियों को बरी कर दिया था।

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हाई कोर्ट ने सोमवार को जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी दोषियों को उनकी सजा बढ़ाने की राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए 26 फरवरी को उसके समक्ष पेश करें।

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अदालत ने उन दोनों आरोपियों को भी अपने समक्ष पेश करने का आदेश दिया जिन्हें आज दोषी ठहराया गया।

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आरोपियों ने अपनी अपील में आरोप लगाया कि जांच टीम ने पूर्व नियोजित तरीके से काम किया और झूठे सबूत बनाए।

कोझिकोड अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 2014 में 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और एक अन्य आरोपी लंबू प्रदीप को तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी।

दोषियों में सीपीआई (एम) के स्थानीय नेता के सी रामचंद्रन और दिवंगत कुन्हानंदन शामिल हैं।

चन्द्रशेखरन (52) की एक गिरोह ने उस समय हत्या कर दी जब वह अपनी बाइक से घर लौट रहे थे।

केरल की तत्कालीन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया।

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