एक महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद साकेत गोखले की सैलरी को मानहानि मामले में कुर्क करने का आदेश दिया है। यह मामला पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने गोखले पर आधारहीन आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने यह आदेश तब जारी किया जब गोखले ने अदालत के पूर्व आदेश का पालन नहीं किया। जुलाई 2024 में अदालत ने गोखले को सार्वजनिक माफी मांगने और जिनेवा स्थित संपत्ति से जुड़े वित्तीय लेन-देन को लेकर लगाए गए झूठे आरोपों के लिए पुरी को 50 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया था। हालांकि, गोखले ने न तो यह राशि जमा की और न ही अदालत को कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण दिया।
अदालत ने अब गोखले की प्रति माह 1.90 लाख रुपये की सैलरी की कुर्की का आदेश दिया है, जो सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 60 के तहत किया गया है। इस धारा के अनुसार, किसी निर्णय-ऋणी की वेतन राशि को निर्णय के क्रियान्वयन के लिए कुर्क किया जा सकता है, जिसमें पहले एक हजार रुपये और शेष राशि के दो-तिहाई हिस्से को कुर्क करने की अनुमति होती है। यह कुर्की तब तक जारी रहेगी जब तक 50 लाख रुपये की पूरी राशि अदालत में जमा नहीं हो जाती।
यह आदेश ऐसे समय में आया है जब गोखले द्वारा उनके खिलाफ पारित फैसले को “रिकॉल” करने की याचिका पहले से ही हाईकोर्ट की एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है। हालांकि, न्यायमूर्ति अरोड़ा ने स्पष्ट किया कि निर्णय के क्रियान्वयन पर कोई स्थगन आदेश नहीं है, इसलिए सैलरी की कुर्की बिना किसी बाधा के जारी रह सकती है।
उल्लेखनीय है कि लक्ष्मी पुरी ने 2021 में हाईकोर्ट का रुख किया था और आरोप लगाया था कि गोखले ने सोशल मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर उनके खिलाफ झूठी बातें फैला कर उनकी छवि को गहरी क्षति पहुंचाई है। इससे पहले अदालत ने गोखले को पुरी के खिलाफ किसी भी तरह के बयान या आरोप सार्वजनिक रूप से प्रसारित करने से भी रोक दिया था।