कथित दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अभियोजन का सामना कर रहे एक शराब कंपनी के निदेशक अमित अरोड़ा ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्टसे अपनी बेटी की चिकित्सा स्थिति के कारण उन्हें अंतरिम जमानत देने का आग्रह किया।
शराब कंपनी बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अरोड़ा ने कहा कि उनकी बेटी का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और उसे परिवार के सदस्यों, खासकर माता-पिता द्वारा नियमित निगरानी की जरूरत है।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने अरोड़ा और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अंतरिम जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया।
ईडी के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य उसकी बेटी की देखभाल के लिए वहां थे और इस आधार पर उसे रिहा करने की जरूरत नहीं है।
अरोड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने कहा कि आरोपी भी इस समय बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती है और कुछ समय के लिए अंतरिम जमानत से न केवल उसे बल्कि उसके परिवार और बीमार बेटी को भी फायदा होगा।
वकील ने दावा किया कि अरोड़ा की बेटी ने तीन बार आत्महत्या का प्रयास किया और उसे पैरानॉयड सिज़ोफ्रेनिया का पता चला है। उन्होंने कहा कि उसके लिए आत्महत्या का खतरा है, अगले महीने उसकी परीक्षाएं नजदीक आ रही हैं और वह तैयारी करने की स्थिति में नहीं है।
पाहवा ने जमानत की गुहार लगाते हुए कहा, “यह पूरी तरह से मानवीय आधार पर है।”
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अरोड़ा को मेडिकल आधार पर कई बार अंतरिम जमानत दी जा चुकी है।
वह सीबीआई और ईडी दोनों द्वारा जांच की जा रही उत्पाद नीति मामलों में एक आरोपी के रूप में सामने आए हैं।
दो केंद्रीय जांच एजेंसियों के अनुसार, उत्पाद शुल्क नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की एफआईआर से उपजा है। दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा इसके कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद 2021-22 के लिए अब रद्द की गई उत्पाद शुल्क नीति सवालों के घेरे में आ गई।
दोनों मामलों में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया भी आरोपी हैं।