केंद्र सरकार ने शुक्रवार को देश कि सात उच्च न्यायालयों से 21 जजों कि नियुक्ति की, इसमें 15 अपर न्यायधीशों को स्थाई न्यायधीश के रूप में एवं 6 नयी नियुक्तियां हुई है।
इस कदम का उद्देश्य न्यायिक प्रणाली को मजबूत करना और विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों के बैकलॉग को कम करना है।
केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम को ट्विटर पर साझा किया।
नए 6 जजों में हिमांचल प्रदेश हाईकोर्ट में अधिवक्ता रंजन शर्मा, अधिवक्ता बिपिन चंद्र नेगी, एवं न्यायिक अधिकारी राकेश कैंथला को अपर न्यायधीश के रूप में नियुक्त किया गया है।
वही तेलंगाना हाईकोर्ट में अधिवक्ता एलएन अलीशेट्टी, अधिवक्ता एके जुकान्ति, एवं न्यायिक अधिकारी श्रीमती सुजाना कलासिकम को अपर न्यायधीश के रूप में नियुक्त किया गया है।
जिन न्यायाधीशों को स्थायी पद दिया गया है उनमें केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बसंत बालाजी, सीके जयचंद्रन, सोफी थॉमस और पीवी गोपाल पिल्लई अजितकुमार शामिल हैं।
गौहाटी उच्च न्यायालय से, जस्टिस काखेतो सेमा, देवाशीष बरुआ, मालाश्री नंदी, मार्ली वानकुंग और अरुण देव चौधरी को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी, बॉम्बे उच्च न्यायालय से न्यायमूर्ति अनिल लक्ष्मण पानसरे और एससी मोरे, और कलकत्ता उच्च न्यायालय से न्यायमूर्ति कृष्णा राव, बिभास रंजन डे और अजॉय कुमार मुखर्जी को भी स्थायी पद दिया गया है।
यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर आधारित था, जिसने 25 जुलाई को इन अतिरिक्त न्यायाधीशों की उनके संबंधित उच्च न्यायालयों में स्थायी नियुक्ति का प्रस्ताव रखा था।
इन न्यायाधीशों की नियुक्ति से मौजूदा न्यायाधीशों पर महत्वपूर्ण कार्यभार को कम करने और समय पर न्याय सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
वर्तमान में, देश के 25 उच्च न्यायालयों में 629 स्थायी न्यायाधीश और 152 अतिरिक्त न्यायाधीश कार्यरत हैं। यह संख्या 840 स्थायी न्यायाधीशों और 274 स्थायी और अतिरिक्त न्यायाधीशों की संयुक्त रूप से स्वीकृत संख्या से कम है।
न्यायाधीशों की नियुक्ति इस मुद्दे को संबोधित करने और कानूनी प्रणाली को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।