कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति टी. एस. शिवग्नानम ने सोमवार को कहा कि अदालत के मौजूदा न्यायाधीशों पर काफी बोझ है और शीघ्र निपटान के लिए अधिक जजों की नियुक्ति अत्यंत आवश्यक है।
अपने विदाई संबोधन में उन्होंने बताया कि कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों में से 17 नामों की सिफारिश जज नियुक्ति के लिए की गई है। उन्होंने कहा, “अगर 17 में से 10 भी नियुक्त हो जाते हैं, तो यह हाईकोर्ट के लिए एक बड़ा सहारा होगा।”
कलकत्ता हाईकोर्ट में 72 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 45 जज कार्यरत हैं। न्यायमूर्ति शिवग्नानम ने दोहराया कि इस कमी के कारण मौजूदा जजों पर कार्यभार बहुत बढ़ गया है और समय पर नियुक्तियां न्याय प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बना सकती हैं।

उनके सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायमूर्ति सौमेन सेन कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठतम जज बन गए हैं। अभी स्थायी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति बाकी है।
अपने कार्यकाल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें कलकत्ता हाईकोर्ट की व्यवस्था में ढलने में ज्यादा कठिनाई नहीं हुई क्योंकि वे भी एक चार्टर्ड हाईकोर्ट – मद्रास हाईकोर्ट – से आए थे। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने उनके कार्यकाल में उल्लेखनीय कार्य किए, जिससे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का भी ध्यान पश्चिम बंगाल की ओर गया।
16 सितंबर 1963 को जन्मे न्यायमूर्ति शिवग्नानम ने 1986 में तमिलनाडु बार काउंसिल में वकालत शुरू की थी। मार्च 2009 में उन्हें मद्रास हाईकोर्ट का अतिरिक्त जज और मार्च 2011 में स्थायी जज नियुक्त किया गया। अक्टूबर 2021 में वे कलकत्ता हाईकोर्ट में स्थानांतरित हुए और मई 2023 में देश के सबसे पुराने चार्टर्ड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने।
अपने कार्यकाल के अंत में उन्होंने कहा कि उन्हें कोई पछतावा नहीं है और जीवन के दूसरे चरण के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। “मैं चीजों को जैसा आता है, वैसा ही लेता हूं,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।