पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। शनिवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें भाखड़ा हेडवर्क्स पर पंजाब पुलिस की कथित तैनाती को चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तैनाती के चलते हरियाणा को पानी की आपूर्ति बाधित हो रही है।
यह याचिका अधिवक्ता रविंदर सिंह ढुल द्वारा दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि पंजाब सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के हेडवर्क्स और लोहंड खुद एस्केप चैनल पर “अवैध रूप से” पुलिस बल तैनात कर दिया है, जोकि संवैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, भाखड़ा हेडवर्क्स पर स्थित रेगुलेटर गेट, जिनसे हरियाणा को पानी छोड़ा जाना था, अब पंजाब पुलिस के नियंत्रण में हैं। यदि पुलिस इन गेट्स को खोलने की अनुमति नहीं देती है तो हरियाणा को तय 8,500 क्यूसैक पानी नहीं मिल पाएगा।

याचिका में कहा गया है कि पंजाब को ऐसा करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है और यह हरियाणा के नागरिकों के जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन है। उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार ने नंगल डैम पर सुरक्षा बढ़ा दी है, और मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा है कि जल नियंत्रण कक्ष को बंद कर उसकी चाबी पुलिस को सौंप दी गई है।
BBMB की तकनीकी समिति ने 23 अप्रैल को निर्णय लिया था कि हरियाणा को 8,500 क्यूसैक पानी दिया जाए — जिसमें से 7,000 क्यूसैक हरियाणा, 1,000 क्यूसैक दिल्ली और 500 क्यूसैक राजस्थान को जाना था। परंतु पंजाब ने इस पर असहमति जताते हुए हरियाणा को केवल 4,000 क्यूसैक पानी देने की सीमा तय कर दी और निर्णय को मानने से इनकार कर दिया।
याचिकाकर्ता ने पंजाब सरकार पर “गैरकानूनी ताकत” के इस्तेमाल और “अमानवीय व्यवहार” का आरोप लगाते हुए कहा कि भाखड़ा नहर हरियाणा के आधे हिस्से को पीने और सिंचाई का पानी देती है और इस तरह की कार्रवाई से नागरिकों की बुनियादी जरूरतें प्रभावित होंगी।
BBMB भाखड़ा, पोंग और रंजीत सागर डैम से पानी के वितरण को नियंत्रित करता है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य इसी व्यवस्था से अपने सिंचाई और पेयजल की आवश्यकताएं पूरी करते हैं।
याचिका में हाईकोर्ट से अपील की गई है कि वह इस संवेदनशील मुद्दे पर हस्तक्षेप करे और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करे।